यह फैसला उन छात्रों के लिए राहत की खबर है जो सीमित आर्थिक संसाधनों के कारण उच्च शिक्षा के इन कोर्सों से वंचित रह जाते थे। विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कदम रोजगारोन्मुखी शिक्षा को बढ़ावा देने और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
महंगी फीस के कारण एडमिशन नहीं
छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. आरएस सिसोदिया ने बताया कि विश्वविद्यालय को लगातार इस बात की जानकारी मिल रही थी कि कई छात्र महंगी फीस के कारण रोजगारमूलक कोर्सों में प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए डिप्लोमा कोर्सों की फीस में भारी कटौती का निर्णय लिया। इस बदलाव से अब हर वर्ग के छात्र, विशेष रूप से ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले विद्यार्थी भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे। यह पहल युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की ओर आकर्षित करेगी, जिससे उन्हें रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
ये भी पढ़ें: घबराहट में तेजी से फैलता है ‘सांप का जहर’, बचने के लिए करें ये 4 काम विश्वविद्यालय में चल रहे हैं ये कोर्स
विश्वविद्यालय में संचालित होने वाले डिप्लोमा कार्स में लेखांकन एवं कराधान, बीमा में डिप्लोमा, ऑनलाइन वाणिज्य, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियरिंग, वेब डिजाइनिंग एवं विकास, पुष्प विज्ञान (फ्लोरीकल्चर), वैदिक गणित, खगोल भौतिकी (एस्ट्रोफिजिक्स), ड्रोन तकनीक, प्रोफेशनल हिंदी, रचनात्मक लेखन (हिंदी), संरक्षण संस्कृत, राजनीतिक नेतृत्व एवं शासन, इंटीरियर डिज़ाइनिंग, परफॉर्मिंग आर्ट्स, विदेशी भाषा (रूसी/स्विस), फंक्शनल इंग्लिश, अंग्रेजी संचार, पत्रकारिता, फैशन व वस्त्र डिजाइनिंग, आत्मरक्षा आदि शामिल हैं। वहीं स्नातकोत्तर डिप्लोमा में पर्यटन, खनिज अन्वेषण एवं खनन विज्ञान, प्राचीन जलाशय, पुनर्निर्माण एवं पुनर्जीवन में, लोक प्रशासन, सहकारिता, बुंदेली अध्ययन, कांस्य कला, अनुवाद (अंग्रेजी/हिंदी), डिजास्टर मैनेजमेंट, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, योग, जूडो शामिल हैं।
छात्रों को होगा फायदा
छात्रों को रोजगारोन्मुखी पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास जारी है। फीस के कारण छात्रों को असुविधा न हो इसलिए फीस को कम किया है।- डॉ. शुभा तिवारी, कुलगुरु