आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में रेफर किया जा रहा
अभियान का उद्देश्य नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की प्रारंभिक पहचान करना है। फैटी लिवर का एक अहम इंडिकेटर कमर की परिधि मानी जाती है। पुरुषों में 90 सेमी और महिलाओं में 80 सेमी से अधिक कमर होने पर व्यक्ति को फैटी लिवर का संभावित रोगी माना जाता है। साथ ही जिनका बॉडी मास इंडेक्स 23 या एनएएफएलडी स्कोर 4 है, उन्हें आगे की जांच के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में रेफर किया जा रहा है।
30 वर्ष से अधिक आयु के महिला-पुरुषों की जांच
जिला कार्यक्रम प्रबंधक राजेंद्र खरे ने बताया कि अभियान के अंतर्गत 30 वर्ष से अधिक आयु के महिला-पुरुषों की जांच की जा रही है। इसमें उनकी ऊंचाई, वजन और कमर का माप लिया जा रहा है। प्रारंभिक स्क्रीनिंग में महिलाओं में मोटापे और कमर की बढ़ती माप ने चिंता बढ़ा दी है। इससे न केवल फैटी लिवर, बल्कि मधुमेह, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
लक्ष्य 7 लाख से अधिक लोगों की जांच
सीएमएचओ डॉ. आरपी गुप्ता ने बताया कि जिले में अभियान का लक्ष्य 7 लाख से अधिक लोगों की जांच करना है। अभी जो आंकड़े मिले हैं, वे जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चेतावनी हैं। यदि समय रहते फैटी लिवर की पहचान कर ली जाए तो आहार, व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। इस अभियान में जिला अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केंद्र और मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ता सक्रिय रूप से जुटे हैं। आमजन को सलाह दी जा रही है कि वे खुद भी अपने कमर की माप और वजन की निगरानी करें, और संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक मेडिकल जांच नहीं, बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करने का राष्ट्रीय प्रयास है।