हर्रई, तामिया और जुन्नारदेव के गांवों में पानी की कीमत,शहर में घरेलू टंकी और खुले नलों से साफ पानी बर्बाद
नगर निगम के 48 वार्डो में हर सुबह दिख रही तस्वीर, घर-आंगन धोने की आदत से भी लोग मजबूर
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छिंदवाड़ा. फरवरी के इस दूसरे पखवाड़े में सूरज की तीखी चुभन हर्रई, तामिया और जुन्नारदेव के सुदूर गांवों में पानी की कीमत का एहसास करा रही है। इधर, जिला मुख्यालय में कन्हरगांव डैम और माचागोरा जलाशय की नियमित आपूर्ति से लोग पानी की कद्र नहीं कर रहे हैं। सरकारी दफ्तरों और घरों की पानी टंकी से ओवरफ्लो पानी, खुले नल से बहती धार या फिर घर-आंगन धोने की आदत को साफ तौर से पेयजल की बर्बादी के रूप में देखा जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार शहर के 48 वार्डों में हर दिन लोग 50 हजार लीटर साफ पानी को नाले-नालियों में पहुंचा रहे हैं।
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार 48 वार्ड की करीब 3 लाख आबादी को पेयजल आपूर्ति करने घरेलू और सार्वजनिक रूप से 37678 नल कनेक्शन दिए गए हैं। कन्हरगांव और माचागोरा डैम का पानी 57 पेयजल टंकी तथा 100 बोर के माध्यम से घर-घर पहुंचता है। प्रति व्यक्ति पानी की राष्ट्रीय औसत खपत 135 लीटर है। इस समय गर्मी का सीजन होने से पानी की मांग दो गुना हो गई है। ऐसे दौर में भी पानी की बर्बादी देखने को मिल रही है।
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घर हो या दफ्तर खुले छोड़ देते हैं टंकी
घर हो या फिर सरकारी दफ्तरों में मोटर पंप से पानी टंकी भरते समय लोग दूसरे कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। टंकी भर कर छलकते रहता है, या फिर ओवर फ्लो पाइप से बहते रहता है। इस तरह एक टंकी से औसतन 10 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। अब 5 हजार घरों को ही मान लें तो टंकियों से 50 हजार पानी लीटर पानी होता है। इसकी संख्या बढ़ सकती है। कलेक्ट्रेट समेत अन्य विभागों पर प्रशासन चाहे तो पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है। घरों के लिए निगम को जल संरक्षण अभियान चलाना जरूरी है।
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घरों में बोर पंप है इसलिए सडक़ों की सफाई भी
छिंदवाड़ा नगर में नलों के अलावा घरेलू बोर और कुआं भी साधन है। ऐसे में मकान मालिक घर आंगन से लेकर सडक़ों तक की धुलाई करते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि इस पानी की उनके घर में नहीं तो गांवों में कीमत है, जहां लोग दो किमी दूर से पानी ला रहे हैं।
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बिना टोंटी के नल और पाइप लाइन लीकेज
शहर में हर गली-मोहल्ले में सार्वजनिक नल ऐसे हैं, जिनमें टोंटी नहीं है। खुले में बहने से पानी सार्वजनिक नाली में बह रहा है। इसी तरह पाइप लाइन लीकेज से भी रोज बड़ी तादाद में पानी बेकार बहता है। नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसका कोई अभियान भी उनकी ओर चलाया नहीं गया है।
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शहर में केवल 20 फीसदी लोग जागरुक
टंकी भरने पर पंप बंद करने के मामले में 20 फीसदी जगरूक हैं। वे तुरंत मोटर बंद कर देते हैं। बाकी 80 फीसदी लोग टंकी भरने के बंद करने में तत्परता नहीं दिखाते। टंकी भरने के बाद मोटर को बंद करने में एक से डेढ़ मिनट भी लगाते हैं तो तब तक 10 लीटर टंकी से ओवरफ्लो होकर बह चुका होता है। एक से डेढ़ मिनट के अंतराल में एक एचपी का मोटर पंप से आसानी से 10 लीटर पानी नीचे से उपर फेंक देता है, जो टंकी से ओवर फ्लो हो जाता है।
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टंकी में फुटबाल लगाकर बचा सकते हैं पानी
नगर निगम की जलप्रदाय शाखा के अनुसार जहां तक सार्वजनिक नलों में टोटी लगाने या फिर सरकारी दफ्तरों में पानी टंकी ओवर फ्लो बहने का सवाल है तो इस पर जागरुकता लाने की जरूरत है। उनके मुताबिक 500 लीटर क्षमता के टंकी को भरने में अधिकतम 10 मिनट का समय लगता है। इस समय पर बंद कर पानी को बचा सकते हैं। इसके अलावा टंकियों में फुटबाल लगाकर भी पानी बहने बचाया जा सकता है।
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इनका कहना है….
पानी का मोल अनमोल है। इसका एहसास करते हुए हर नागरिक को पेयजल बचाने का उपाय करना होगा। नगर निगम भी गर्मी में पेयजल पर जागरुकता मुहिम चलाएगा।
-विक्रम अहके, महापौर।
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