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चित्तौड़गढ़

राजस्थान में 3 साल बाद फिर गोवंश पर लंपी वायरस का संकट! पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर

राजस्थान में एक बार फिर गोवंश पर लंपी वायरस का खतरा मंडराने लगा है। राज्य का पशुपालन विभाग लंपी वारयस को लेकर अलर्ट मोड पर आ गया है।

चित्तौड़गढ़Jun 27, 2025 / 11:09 am

anand yadav

गोवंश में फिर लंपी वायरस की आहट, पत्रिका फोटो

Chittorgarh: राजस्थान में एक बार फिर गोवंश पर लंपी वायरस का खतरा मंडराने लगा है। राज्य का पशुपालन विभाग लंपी वारयस को लेकर अलर्ट मोड पर आ गया है। चित्तौड़गढ़ जिले में विभाग के 25 चिकित्सकों और 97 टीकाकर्मियों ने अब तक जिले में 1 लाख 5 हजार गोवंश को लंपी वायरस से बचाने के लिए टीके लगा दिए हैं। जिले में कुल 3 लाख 5 हजार गोवंश को यह वैक्सीन लगाया जाएगा।

तीन साल पहले वायरस ने बरपाया कहर

टीकाकरण अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. दौलतसिंह राठौड़ ने बताया कि जिले के 11 ब्लॉक में गोवंश का टीकाकरण करने के लिए चिकित्सकों और टीकाकर्मियों की टीमें काम कर रही हैं। कुल 3 लाख 5 हजार गोवंश में से अब तक 1 लाख 5 हजार गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है।
गोवंश पर लंपी वायरस का खतरा, पत्रिका फोटो
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले लंपी वायरस से बड़ी संख्या में गोवंश मौत के मुंह में समा गया था। इसके बाद सरकार हर साल गोवंश का इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण करवा रही हैं। लंपी रोग की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग ने वैक्सीन की डोल उपलब्ध होते ही टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया। चार माह से अधिक आयु के गोवंश का नि:शुल्क टीकाकरण किया जा रहा है।

क्या है लंपी रोग

लंपी चर्म रोग की तरह का पॉक्स वायरस है, जो मच्छरों व टिक्स के माध्यम से फैलता है। इससे पीड़ित गोवंश में बुखार, शरीर पर गांठें, भूख नहीं लगने, नाक व आंखों से पानी आने, दूध के उत्पादन में गिरावट जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देते ही पशुपालकों को चिकित्सक से सलाह लेकर गोवंश का उपचार करवाना चाहिए।
लंपी वायरस ने तीन साल पहले मचाया कहर, पत्रिका फोटो

जुलाई में रहता है संक्रमण का खतरा

जुलाई में लंपी रोग का प्रकोप ज्यादा होता है। वर्ष 2022 में प्रदेशभर में लंपी वायरस से बड़ी संख्या में गोवंश की मृत्यु हुई थी। तब सरकार ने मृत पशुओं के एवज में पशुपालकों को 40 हजार रुपए प्रति मवेशी मुआवजा दिया था। पशुपालन विभाग ने जिले के सभी ब्लॉक, पशु चिकित्सालयों, उप केंद्रों और मोबाइल यूनिटों के माध्यम से टीकाकरण को गति दी है। इधर, पशुपालकों ने बताया कि दो साल पहले लंपी रोग ने गोवंश को चपेट में ले लिया था। इससे दूध उत्पादन की क्षमता कम होने के कारण पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

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