उन्होंने कहा कि हमने सफलता का पैमाना केवल डॉक्टर और इंजीनियर बनने तक सीमित कर दिया है, जबकि हर बच्चा अपनी काबिलियत के साथ विलक्षण है।
सामूहिक प्रयास का किया आह्वान
राहुल कस्वां ने कहा कि जीवन की इस भागदौड़ में समाज, परिवार और संस्थानों को मिलकर बदलाव लाना होगा। हम बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। हमें उनके साथ जुड़कर उनकी समस्याओं को समझना होगा।
सकारात्मक माहौल देने की अपील
सासंद राहुल कस्वां ने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि कोटा, जयपुर जैसे शहरों में अध्ययनरत बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। हम सभी के लिए यह बेहद चिन्ताजनक और आत्ममंथन का विषय है। सरकार और प्रशासन इस अत्यंत संवेदनशील विषय पर गंभीरता दिखाए यह तो जरूरी है ही; साथ में हर अभिभावक और शिक्षण संस्थान को भी नये तरीके से सोचने का समय है। उन्होंने कहा कि यह भी एक कड़वी हकीकत है कि जीवन की इस भागदौड़ में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों को समय ही नहीं दे पा रहे हैं। हमने सफलता का अर्थ संकुचित कर दिया है और डॉक्टर व इंजीनियर बनने को ही सफलता का पैमाना मान लिया है; जबकि हर बच्चा विलक्षण है।
परिजनों से अपील करते हुए कहा कि सभी माता-पिता से आग्रह करता हूँ कि अपने बच्चों को समय दें, उनको समझें व सहयोग करें। हर बच्चे की अपनी अलग काबिलियत है जो ईश्वर ने उन्हें प्रदान की है। जहां दुनियां दौड़ रही है उस दौड़ का हिस्सा न बनकर हमें अपने बच्चे को देखकर दौड़ना है। अपने बच्चों से कनेक्ट रहें, उनमें आत्मविश्वास पैदा करते रहें। आज अवसरों की कोई कमी नहीं है, जहां बच्चा अपना नाम कमा सकता है।
सभी शिक्षण संस्थानों से भी आशा करता हूँ कि अपने यहां अध्ययनरत बच्चों की प्रतिभा की पहचानेंगे और उन्हें सयोगात्मक व स्वस्थ वातावरण प्रदान करेंगे।
2025 में आत्महत्या के 6 मामले
साल 2025 की शुरुआत से अब तक कोटा में छह छात्रों ने आत्महत्या की है। यह स्थिति सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। पहला मामला- 8 जनवरी, हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी छात्र नीरज
दूसरा मामला- 9 जनवरी, मध्य प्रदेश के गुना जिले का निवासी अभिषेक लोधा
तीसरा मामला- 15 जनवरी, ओड़िशा का अभिजीत गिरी
चौथा मामला – 18 जनवरी, राजस्थान के बूंदी जिले का निवासी मनन जैन
पांचवा मामला- 22 जनवरी, गुजरात की अहमदाबाद निवासी छात्रा अफ्शा शेख
छठा मामला- 22 जनवरी, असम के नागांव निवासी छात्र पराग
गौरतलब है कि सांसद ने सरकार, कोचिंग संस्थानों और प्रशासन से मिलकर इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि छात्रों को स्वस्थ मानसिक और भावनात्मक माहौल देने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।