जानें क्या है पूरा मामला
साउथ अफ्रीका के खेल मंत्री ने कहा, “स्पष्ट रूप से कहें तो आईसीसी ने खेल में समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया है और सदस्य देशों को पुरुष और महिला दोनों खिलाड़ियों को विकसित करना चाहिए। अफ़गानिस्तान के मामले में ऐसा नहीं होता है, जो यह दर्शाता है कि वहां खेल के प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप को बर्दाश्त किया जा रहा है। इसी तरह, श्रीलंका को राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए 2023 में प्रतिबंधित कर दिया गया। मुझे पता है कि आईसीसी, अधिकांश अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों की तरह, खेल के प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करने का दावा करता है, लेकिन अफ़गानिस्तान के साथ ऐसा नहीं दिखता है। खेल मंत्री के रूप में यह अंतिम निर्णय लेना मेरे लिए नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका को अफ़गानिस्तान के खिलाफ़ क्रिकेट मैचों का सम्मान करना चाहिए या नहीं। उन्होंने आगे कहा, “अगर यह मेरा निर्णय होता, तो निश्चित रूप से ऐसा नहीं होता। मैकेंजी ने गुरुवार को अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर एक बयान में कहा, “क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका, अन्य देशों के महासंघों और आईसीसी को इस बारे में सावधानी से सोचना होगा कि क्रिकेट का खेल दुनिया को क्या संदेश देना चाहता है और खास तौर पर खेल में शामिल महिलाओं को। मुझे उम्मीद है कि क्रिकेट से जुड़े सभी लोग, जिनमें समर्थक, खिलाड़ी और प्रशासक शामिल हैं, अफगानिस्तान की महिलाओं के साथ एकजुटता में दृढ़ रुख अपनाएंगे।”
आईसीसी का दोहरा रवैया
इससे पहले, लेबर सांसद टोनिया एंटोनियाज़ी ने एक पत्र में अफगानिस्तान के खिलाफ इंग्लैंड क्रिकेट टीम को मैच बायकॉट करने का आग्रह किया था, जिस पर ब्रिटेन के लगभग 160 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) से 26 फरवरी को लाहौर में खेले जाने वाले अफगानिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करने का इन सांसदों ने मांग की थी। हालांकि ईसीबी के अध्यक्ष रिचर्ड गोल्ड ने खेल के बहिष्कार के आह्वान को खारिज कर दिया, लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी आईसीसी से अपने नियमों का पालन करने का आह्वान किया, जिसके अनुसार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पुरुष और महिला टीमों को मैदान में उतारने में विफल रहने वाले किसी भी पूर्ण सदस्य को निलंबित किया जाना अनिवार्य है।