हुसैन ने मैच के बाद कहा, “गिल एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह याद रखना होगा कि उन्होंने रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ियों से कप्तानी ली है। मुझे मैदान पर दो-तीन कप्तान नजर आ रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे एक कमेटी टीम का नेतृत्व कर रही हो। यह एक युवा कप्तान के शुरुआती दिनों में हो सकता है, क्योंकि सीनियर खिलाड़ी जैसे ऋषभ पंत और केएल राहुल उनकी मदद करना चाहते हैं।”
जडेजा के साथ तालमेल की कमी
हुसैन ने विशेष रूप से रवींद्र जडेजा के साथ गिल की रणनीतिक बातचीत की कमी पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऑफ स्टम्प के बाहर एक रफ पैच था, जिसका फायदा उठाने के लिए गेंदबाजी में बदलाव की जरूरत थी। कमेंट्री बॉक्स में बैठे रवि शास्त्री बार-बार सुझाव दे रहे थे कि गेंद को धीमा और वाइड फेंककर रफ पैच पर डाला जाए, लेकिन जडेजा ऐसा करने में नाकाम रहे। हुसैन ने हैरानी जताई कि न तो गिल और न ही कोई सीनियर खिलाड़ी जडेजा को यह समझाने के लिए उनके पास गया। उन्होंने कहा, “गिल को जडेजा से बात करनी चाहिए थी, लेकिन शायद एक युवा कप्तान के लिए अनुभवी स्पिनर को गेंदबाजी की सलाह देना आसान नहीं था।”
भारत की हार के दो मुख्य कारण
हुसैन ने भारत की हार के दो प्रमुख कारणों पर भी चर्चा की। पहला, स्लिप में कैच छोड़ना, जिसने विपक्षी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। दूसरा, भारतीय लोअर ऑर्डर का कोलैप्स होना, जो हुसैन के अनुसार चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, “भारत के पास लंबे समय से अश्विन, जडेजा और अक्षर जैसे शानदार स्पिन-गेंदबाजी ऑलराउंडर रहे हैं, जो भारत में लोअर ऑर्डर में बल्लेबाजी में योगदान देते हैं। लेकिन इंग्लैंड में उनके पास ऐसा कोई तेज गेंदबाज नहीं है, जो बल्लेबाजी भी कर सके। भारत अब भी टेस्ट क्रिकेट में हार्दिक पांड्या जैसे तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की तलाश में है।” हुसैन ने चेतावनी दी कि अगर भारत की बल्लेबाजी 31 रन पर 6 विकेट और 41 रन पर 7 विकेट जैसी स्थिति में ढहती रही, तो यह सीरीज जल्दी खत्म हो सकती है।