दमोह. शहर की ऐतिहासिक धरोहर फुटेरा तालाब की स्थिति वर्षों बाद भी नहीं सुधरी है। गंदगी, प्लास्टिक और कचरे के ढेर इस तालाब की बदहाल तस्वीर बयां कर रहे हैं। सरकार की अमृत योजना के तहत तालाब का सौंदर्यीकरण प्रस्तावित था, लेकिन वह योजना कागजों तक ही सीमित रह गई। करोड़ों की राशि के बावजूद आज तक कोई ठोस काम शुरू नहीं हो पाया और पूरा बजट लैप्स हो गया।
अमृत योजना की उपेक्षा स्थानीय नागरिकों के अनुसार नगरपालिका प्रशासन को कई बार शिकायतें दी गईं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। तालाब के चारों ओर न तो कोई सफाई व्यवस्था है, न ही बैठने, रोशनी या शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं। बरसात में हालात और भी बिगड़ जाते हैं, जब तालाब से फैलती गंदगी पूरे क्षेत्र को प्रभावित करती है, और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
ऐतिहासिक तालाब सिमटता गया
कभी 100 एकड़ में फैला फुटेरा तालाब, अब कुछ ही एकड़ में सिमट कर रह गया है इसका कारण है वर्षों से होते आ रहे अतिक्रमण, जिन पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। तालाब की जमीन पर पक्के निर्माण खड़े हैं और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस धरोहर की मूल पहचान मिटती जा रही है। बदबू से जीना मुहाल तालाब की गंदगी से हवा में बदबू और सड़ांध का असर इतना है कि लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है।
त्योहारों के समय, जब श्रद्धालु तालाब के पास पूजा-पाठ करने आते हैं, तो यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। पत्रिका व्यू फुटेरा तालाब सिर्फ एक जलस्रोत नहीं, दमोह की सांस्कृतिक विरासत है। लेकिन इसके संरक्षण और सौंदर्यीकरण को लेकर प्रशासन की उदासीनता गंभीर चिंता का विषय बन गई है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह तालाब गंदगी, अतिक्रमण और लापरवाही की भेंट चढ़ जाएगा।