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मुनाफा का चक्कर: प्रतिबंध के बाद भी शहर में बिक रहा चाइनीज मांझा

दमोह. चायनीज मांझा, जिसके विक्रय, भंडारण और इस्तेमाल तक पर रोक है, लेकिन यह मांझा जिला मुख्यालय के गली, मोहल्ले और दुकानों पर खुलेआम बेचा जा रहा है। जब शहर के अलावा ब्लॉक और ग्रामीण अंचल में भी यह बेचा जाता है। संक्रांति से ही पतंगबाजी शुरू हो जाती है, ऐसे में इसकी डिमांड बहुत […]

दमोहDec 20, 2024 / 02:27 am

हामिद खान

प्रतिबंध के बाद भी शहर में बिक रहा चाइनीज मांझा

प्रतिबंध के बाद भी शहर में बिक रहा चाइनीज मांझा

  • मांझे से पशु पक्षियों ओर मानव जीवन को भी बताया जाता है खतरा, संक्रांति के पहले ही शुरू हो जाती है पतंगबाजी
दमोह. चायनीज मांझा, जिसके विक्रय, भंडारण और इस्तेमाल तक पर रोक है, लेकिन यह मांझा जिला मुख्यालय के गली, मोहल्ले और दुकानों पर खुलेआम बेचा जा रहा है। जब शहर के अलावा ब्लॉक और ग्रामीण अंचल में भी यह बेचा जाता है। संक्रांति से ही पतंगबाजी शुरू हो जाती है, ऐसे में इसकी डिमांड बहुत होती है।
शहर के अलग-अलग वार्डों के अलावा बाजार में भी इस प्रतिबंधित मांझे का विक्रय हो रहा है। यही वजह है कि खुले आम पतंगों की दुकानों पर मांझा देखा जा सकता है। दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में इस प्रतिबंधित और पशु-पक्षी और मानव जीवन की सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले मांझे को बेच रहे हैं। एक दुकानदार ने बताया कि इसी मांझे को लोग पसंद करते हैं, इसलिए बेच रहे हैं।
-मुनाफा इसलिए चायनीज मांझे का विक्रय
देशी और चाइनीज मांझा की कीमतें मांझा की गुणवत्ता, मांझा की लंबाई या वजन और बाजार की मांग तय रहती है। यही वजह है कि देशी मांझा ८०० से लेकर १२०० रुपए किलोग्राम में मिलता है। जबकि चायनीज मांझा ४०० रुपए से ८०० रुपए किलोग्राम कीमत है। इसी कीमत में अंतर होने की वजह से दुकानदार इसी को बेचते हैं। यह देशी से मजबूत होता है। इसके बाद दुकानदार ग्राहकों को ४० से ५० फीसदी अधिक कीमत पर मांझा खपाते हैं।
  • किसी भी सीजन में मिलता है मांझा
    पतंगबाजी का शौक रखने वाले महेश असाटी ने बताया कि लोग महंगे से महंगा मांझा खरीदते हैं। पहले सिर्फ देशी मांझे का ही इस्तेमाल होता था। लेकिन अब इसकी जगह चायनीज मांझे ने ले ली है। जो देशी की तुलना में मजबूत बताया जाता है और यह तेज भी होता है। स्थिति यह है कि पहले सिर्फ गर्मी के समय पतंगबाजी होती थी, लेकिन अब हर मौसम में लोग पतंग उड़ाते हैं। पतंग पहले सिर्फ कागज की मिलती थी और पन्नी से भी यह तैयार हो रही है। यही वजह है कि इस पतंग और मांझा बेचने के कारोबारियों की संख्या भी बढ़ गई है। हर मौसम में पतंग और मांझा शहर में बिकता है। संक्रांति से सीजन और बढ़ जाता है, इसके लिए खरीदी भी शुरू हो गई है।
  • डिमांड के अनुसार रखते है मांझा
    एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चायनीज मांझे को ही लोग पसंद करते हैं। क्योंकि, यह मांझा नायलॉन और प्लास्टिक के मिश्रण से बनाया जाता है और यह बहुत मजबूत और तेज होता है। जबकि देशी मांझा कपास और रेशम का बना होता है। इस वजह से यह कम मजबूत होता है। हालांकि, यदि कोई बड़ा चाइनीज मांझा मांगता है, तो उसे नहीं दिया जाता है। साथ ही दुकानों पर इसकी उपलब्धता, बेचते नहीं है बताया जाता है।
चाइनीज मांझा का विक्रय शहर में हो रहा है तो पता करवाता हूं।
आनंद राज, टी आई कोतवाली

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