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दंतेवाड़ा

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी समाज ने उठाए बस्तर के मुद्दे, कहा– प्रशासन पर सवाल उठाने वालों को डराया जा रहा

CG News: जल, जंगल, जमीन को बचाने वाले आंदोलनों में वे सदैव अग्रणी रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है और इसे राजनीति से प्रेरित बताया।

दंतेवाड़ाJun 22, 2025 / 06:04 pm

Laxmi Vishwakarma

सर्व आदिवासी समाज (Photo source- Patrika)

सर्व आदिवासी समाज (Photo source- Patrika)

CG News: सर्व आदिवासी समाज ने शनिवार को सर्व आदिवासी भवन सुकमा में आयोजित प्रेस वार्ता में बस्तर अंचल के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों को उठाते हुए आरोप लगाया कि आदिवासी समाज की आवाज को दबाने और सवाल उठाने वालों को प्रशासनिक दबाव के जरिए डराया-धमकाया जा रहा है। समाज के नेताओं ने कहा कि शासन-प्रशासन जन सरोकार से जुड़े मुद्दों को उठाने वालों को प्रताड़ित करने में जुटा है।

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CG News: आवाज उठाने वालों को चुप कराने का प्रयास

पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के घर पर मारे गए छापे को लेकर पदाधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह कार्रवाई तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप कराने का प्रयास है। समाज के पदाधिकारियों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। प्रेस वार्ता में राजूराम नाग, वेको हुंगा, सोयम भीमा, लच्छू कश्यप, कोसा मड़कम, रमेश नाग, कवासी मुन्ना, सुनील सोडी, सुकालू बघेल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

बांग्लादेशी घुसपैठियों और भू-माफियाओं पर कार्रवाई की मांग

कोया कुटमा समाज के जिलाध्यक्ष विष्णु कवासी ने कहा कि बस्तर में आदिवासी और गैर-आदिवासी जमीनों को भूमाफिया और राजस्व विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत से हड़पा जा रहा है। उन्होंने विधानसभा से भूमाफिया नियंत्रण अधिनियम लाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि बस्तर में बांग्लादेशी घुसपैठिए कई सालों से बसे हैं, जो न केवल संसाधनों का दोहन कर रहे हैं बल्कि जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं। समाज ने प्रशासन से इनकी पहचान कर निर्वासन की मांग की है।
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शासन की नीतियों पर उठाए सवाल

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष उमेश सुंडाम ने कहा कि पेसा कानून, वन अधिकार कानून का सही क्रियान्वयन बस्तर में नहीं हो रहा है। नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण, बैलाडिला और अन्य खदानों को कॉर्पोरेट हाथों में सौंपना, बिना अधिग्रहण के जंगल-जमीन का अधिग्रहण-ये सब बस्तर की अस्मिता के लिए गंभीर खतरा हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार तेजी से खनिज संसाधनों का दोहन कर रही है, जबकि आदिवासियों को हाशिये पर धकेला जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आश्रमों और छात्रावासों में आदिवासी बालिकाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन शासन मौन है। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की खराब स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है और विषयवार शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो पा रही है।

पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर उठे सवाल

CG News: ध्रुवा समाज के संभागीय उपाध्यक्ष राजूराम नाग ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बस्तर की बुलंद आदिवासी आवाज को दबाने का यह एक और प्रयास है। उन्होंने कहा कि लखमा ने अपने कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, विशेष जनजाति बच्चों के लिए एमबीबीएस में प्रवेश और बंद पड़े स्कूलों को पुन: शुरू कराने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। जल, जंगल, जमीन को बचाने वाले आंदोलनों में वे सदैव अग्रणी रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है और इसे राजनीति से प्रेरित बताया।

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