भद्रा का साया और चंद्रग्रहण
होलिका दहन का शुभ समय 13 मार्च की रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा, क्योंकि इस दौरान भद्रा समाप्त हो जाएगी। परंपरा के अनुसार, होली का पर्व पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के बाद प्रतिपदा को मनाया जाता है। हालांकि, इस साल 14 मार्च को भद्रा और चंद्रग्रहण पड़ रहा है, जिससे शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा। इसी कारण कई ज्योतिषाचार्यों ने 15 मार्च को होली मनाने की सलाह दी है।
सरकारी अवकाश 14 मार्च को
शासकीय कैलेंडर के अनुसार 14 मार्च को होली का अवकाश घोषित किया गया है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं और ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को देखते हुए ज्योतिषाचार्य 15 मार्च को होली मनाने की बात कह रहे हैं।
शूल योग का प्रभाव
पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन के दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है, जबकि होली के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ शूल योग रहेगा। इस योग को कुछ स्थानों पर शुभ और कुछ स्थानों पर अशुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों की राय
दतिया के रहने वाले ज्योतिषाचार्य एवं गणितज्ञ डॉ. रामलखन महेरे का कहना है कि होली बुराई पर अच्छाई की जीत और एकता का प्रतीक है। यह पर्व प्रेम और विश्वास को बढ़ाने का अवसर देता है। होलिका दहन आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता से जुड़ा हुआ है। अब सवाल यह है कि लोग 14 मार्च को होली मनाएं या 15 मार्च को? यह पूरी तरह से व्यक्तिगत आस्था और मान्यता पर निर्भर करेगा। कुछ स्थानों पर सरकारी अवकाश को देखते हुए 14 मार्च को ही रंग खेला जाएगा, जबकि अन्य जगहों पर ज्योतिषीय गणना के अनुसार 15 मार्च को रंगोत्सव मनाने की तैयारी हो रही है।