सात हजार में किराये पर लिया था कमरा, दस बैड से शुरु किया वृद्धाश्रम…
दौसा में जब लोगों को डॉक्टर डेथ के बारे में पूरी जानकारी मिली तो उनके पसीने छूट गए। आसपास के लोगों से जानकारी मिली तो पता चला कि संत बने डॉक्टर डेथ ने अभी कुछ दिन पहले ही आश्रम के नजदीक ही एक कमरा किराये पर लिया था। उसमें दस बैड लगा दिए गए थे और कुछ अन्य बैड और लाए जाने थे। यहीं पर उन बुजुर्गों को रखा जाना था जिनका कोई नहीं था। लोगों को ये शंका है कि कहीं वृद्धाश्रम के नाम पर डॉक्टर फिर से मौत का खेल तो नहीं खेलने वाला था। कहीं वह बुजुर्गों के अंग बेचने की तो तैयारी में नहीं था। यह आश्रम वह 26 मई को खोलने वाला था। गौरतलब है कि वृद्धाश्रम में वही बुजुर्ग आते जिनके या तो कोई अपना नहीं होता या फिर अपनों ने उन्हें हमेशा के लिए छोड़ दिया होता। ऐसे बुजुर्ग अगर गायब भी हो जाते तो कोई उनके बारे में पूछने वाला तक नहीं होता।
तिहाड से निकला नरपिशाच और नाम रख लिया दयादास महाराज, भक्तों का कहता बुरा काम कभी ना करना
दिल्ली की क्राइम ब्रांच जब आश्रम में घुसी तो महाराज दयादास भक्तों और अनुयाईयों को प्रवचन कर रहे थे कि किसी भी हालत में बुरा काम कभी मत करना, उपर वाला सब देखता है। महाराज बनकर बैठा हत्यारा भक्तों को रामायण और महाभारत के प्रसंग सुनाता था। आश्रम में उसने खुद के लिए भी शानदार इंतजाम किया हुआ था। सब कुछ लग्जरी था। माना जा रहा है कि वह अभी भी दिल्ली में बैठी अपनी पत्नी के संपर्क में था । अननोन नंबर से कॉल करता था। इन्हीं में से एक नंबर ट्रेस करते हुए क्राइम ब्रांच दौसा तक पहुंच गई और महाराज का खेल खत्म हो गया।
मगरमच्छों को शव खिलाता था ये डॉक्टर…
देवेंद्र शर्मा की हत्याओं की कहानी नर्क से भी भयावह है। 1994 में गैस एजेंसी ली, लेकिन जब घाटा हुआ, तो मानव अंग तस्करी की ओर बढ़ गया। 1998 से 2004 के बीच किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में शामिल हुआ। गिरफ्तारी के बाद उसने 125 से ज्यादा अवैध ट्रांसप्लांट की बात कबूल की थी। लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकी… उसने किडनी निकालने के लिए शिकार करना शुरू कर दिया। उसके टारगेट पर टैक्सी चालक रहते थे। डॉक्टर डेथ टैक्सी बुक करता। ड्राइवर को सुनसान जगह ले जाकर गला घोंट देता, फिर शव को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता, जहां मगरमच्छ चंद मिनटों में सबूत साफ कर देते। फिर वह टैक्सी को ब्लैक मार्केट में बेच देता। पुलिस के हाथ में न गवाह, न सबूत। लेकिन अब हत्या की बड़ी-बड़ी परतें खुल रही हैं।