फिल्म थ्री इडियट में जुगाड़ के संसाधनों से होने वाले सुरक्षित प्रसव से मिलती ये कहानी कालसिंह बारेला की कहानी है, जो परिवार के साथ शंकरगढ़ पहाड़ी पर रहते हैं। पति-पत्नी दोनों मजदूरी करते हैं। उनकी 30 साल पहले शादी हुई थी। 55 वर्षीय कालसिंह ने बताया कि पत्नी अलका की उम्र 45 साल है, पहले तीन प्रसव मायके सेंडल (इंदौर) में घर पर ही हुए थे। चौथी डिलीवरी देवास में शंकरगढ़ स्थित घर पर हुई।
इंजेक्शन से डर के कारण नहीं जाती थी अस्पताल
पत्नी अलका ने बताया कि मायके में जो डिलीवरी हुई थी वह दाई ने परिवार के साथ मिलकर करवाई थी। मुझे अनुभव था, दाई ने कुछ चीजें बताई थी, तो पति को चौथी डिलीवरी घर पर ही करवाने के लिए कहा। उन्हें समझाया कि किस प्रकार से सुरक्षित प्रसव करवाया जाता है। इसके बाद उन्होंने सारे प्रसव घर पर करवाए। अलका ने बताया कि उन्हें लगता है कि अस्पताल में उनकी जान चली जाएगी। वे इंजेक्शन लगवाने से भी डरती है। कालसिंह ने बताया कि एक बार पत्नी को नसबंदी के लिए अस्पताल में भर्ती किया तो वह डर के चलते भागकर घर आ गई। पहाड़ी पर घर, नहीं पहुंचता कोई स्वास्थ्यकर्मी
कालसिंह और अलका ने बताया कि हमारा घर शंकरगढ़ क्षेत्र में आता है, यहां स्वास्थ्य विभाग का कोई व्यक्ति अब तक नहीं आया। कालसिंह के 14 बच्चों में तीन की मौत हो चुकी है। हालांकि ये तीनों मौतें बच्चों के बड़े होने के बाद हुई थी। 11 में चार बच्चों की वह शादी कर चुके हैं। 7 लड़कियां है, जबकि 4 लडक़े हैं। सबसे छोटा बच्चा चार साल का है। बच्चों के जन्म सर्टिफिकेट के लिए शुरुआत में दिक्कत आई है, लेकिन अब कुछ के बन गए हैं।
पत्नी करती है प्रसव में मदद
कालसिंह ने बताया कि पत्नी मुझे प्रसव में मदद करती है। एक बार प्रसव के दौरान बच्चा उल्टा हो गया तो पत्नी ने बताया कि कैसे सीधा होगा। फिर मैंने उसके बताए अनुसार बच्चे को सीधा किया और सुरक्षित प्रसव करवाया। सभी नॉर्मल प्रसव करवाए। प्रसव के बाद पत्नी ज्यादा वक्त आराम नहीं करती है। एक सप्ताह बाद वह फिर से मजदूरी करने लगती है। मैं उसकी सेहत को लेकर काजू बादाम, खोपरा, सफेद मूसली आदि खिलाता हूं। कालसिंह व अलका ने बताया कि बच्चे के रोने के बाद नाल काटी जाती है। जन्म के बाद कभी किसी बच्चे की तबीयत भी नहीं बिगड़ी।