Rathyatra Festival: १०६ साल से परंपरा का निर्वहन किया
यह आषधि काढ़ा कई जड़ी-बुटियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसका सेवन करने से शरीर में रोगरोधक क्षमता बढ़ती है इससे बरसात के दिनों में होने वाले मौसमी बीमारी से शरीर को लाभ मिलता है। श्रीजगदीश मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष किरण गांधी ने बताया कि मंदिर निर्माण के साथ ही पिछले १०६ साल से परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। औषधि काढ़ा लेने के लिए सुबह ७ बजे से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लग गई थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ अभियान से प्रेरित होकर ट्रस्ट द्वारा पॉलीथिन और प्लास्टिक बोतलों में काढ़ा प्रसादी का वितरण इस बार नहीं किया जा रहा है।
काढ़ा वितरण के दौरान मंदिर महाप्रभु जगन्नाथ के जयकारों से गूंजने लगा था। इस अवसर पर सत्यनारायण राठी, प्रकाश गांधी, मोहन अग्रवाल, लखमशी भाई भानुशाली, श्यामसुंदर अग्रवाल, सीए अजय अग्रवाल, मदनमोहन खंडेलवाल, बिहारीलाल अग्रवाल, दयाराम अग्रवाल, अनिल मित्तल, रविकांत अग्रवाल, दिलीपराज सोनी समेत भक्तजन बड़ी संया में उपस्थित थे।
२६ को नेत्रोत्सव
Rathyatra Festival: मंदिर के पुजारी पंडित बालकृष्ण शर्मा ने बताया कि
महाप्रभु जगन्नाथ, भैय्या बलभद्र और बहन सुभद्रा को २५ जून तक औषधि काढ़ा का भोग लगाया जाएगा। काढ़ा प्रसादी का भक्तों का वितरण किया जाएगा। २६ जून को नेत्रोत्सव का पर्व मनाया जाएगा। सुबह ९.३० बजे से हवन-पूजन का कार्यक्रम होगा। पश्चात वैदिक रीति-रिवाज के साथ प्रतिमाओं की पुन: प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।
आरती पश्चात मंदिर का पट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाएगा। २७ जून को पूजा-अर्चना और आरती के बाद महाप्रभु जगन्नाथ को रथ में विराजमान कराया जाएगा। साथ ही श्रीजगदीश मंदिर से रथयात्रा निकाली जाएगी। यह रथयात्रा ३ किमी का सफर तय कर गौशाला (जनकपुर) पहुंचेगी। यहां भगवान १० दिन विश्राम कर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।