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खौफनाक बीमारी: 12 लाख लोगों की स्क्रीनिंग में 25 सौ मिले पॉजिटिव

Sickle cell disease screening in Dhar – मध्यप्रदेश में खौफनाक बीमारी सिकल सेल के खात्मे के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

धारMay 25, 2025 / 08:38 pm

deepak deewan

25 hundred positive patients found in sickle cell disease screening in Dhar

sickle cell

Sickle cell disease screening in Dhar – मध्यप्रदेश में खौफनाक बीमारी सिकल सेल के खात्मे के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने इस रोग को खत्म करने के लिए स्क्रीनिंग के बाद जेनेटिक काउंसलिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत जताई। सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि धार जिले में 12 लाख लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इसमें करीब 25 सौ पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। राज्यपाल ने सिकल सेल पॉजिटिव को आपस में विवाह नहीं करने की समझाइश देने की भी बात कही।
एमपी में सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है जोकि सामान्यत: आदिवासी अंचलों में पाई जाती है। इस रोग की सबसे बुरी बात यह है कि मरीजों का खून निचोड़ लेती है। प्रदेश में इसके नियंत्रण के लिए जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड बनाए गए हैं। इसमें शादी के पहले दूल्हा और दुल्हन के कार्ड की जांच कर पता किया जा सकता है कि उनकी होनेवाली संतान सिकल सेल एनीमिया से तो पीड़ित नहीं होगी।
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प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया पर राज्यपाल कार्यालय से निगरानी की जा रही है। राज्यपाल मंगू भाई पटेल के विशेष निर्देश पर आदिवासी बहुल धार जिले में इसकी स्क्रीनिंग भी की जा रही है। जागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि धार जिले में 12 लाख लोगों की स्क्रीनिंग में से करीब 25 सौ सिकल सेल पॉजिटिव सामने आए हैं। उन्होंने इस खौफनाक रोग के खात्मे के लिए स्क्रीनिंग के बाद जेनेटिक काउंसलिंग पर विशेष जोर दिया।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने पॉजिटिव पाए गए लोगों को नियमित दवाई लेने, व्यायाम करने, सुपाच्य भोजन करने, ठंडे पानी से नहीं नहाने और अधिक मात्रा में पानी पीने की समझाइश दी। उन्होंने बताया कि सिकल सेल की दवाइयां
सभी स्टोर्स पर उपलब्ध होनी चाहिए।

2047 तक इस बीमारी से पूर्णतः मुक्त करने का संकल्प

प्रदेश के उच्च शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि राज्यपाल द्वारा शुरू किया अभियान में आयुर्वेद एवं होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से भी सिकल सेल के उन्मूलन का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश को 2047 तक इस बीमारी से पूर्णतः मुक्त करने का संकल्प लिया गया है।
केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री डीडी उइके ने सिकल सेल बीमारी से उपजी वेदना को समझते हुए पूरे प्रदेश में इसके उन्मूलन के लिए कार्य करने के लिए राज्यपाल की सराहना की। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने सभी जनप्रतिनिधियों से समाज सेवा के रूप में इस कार्य में जुटने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में पांच बच्चों ने स्कूल व हॉस्टल में हुई स्क्रीनिंग के अनुभव बताए। बच्चों ने बताया कि अस्पताल से मिलने वाली निशुल्क दवाइयों से उन्हें इस बीमारी से राहत मिली है।

क्यों खौफनाक है सिकल सेल

सिकल सेल में शरीर में खून की कमी हो जाती है। 15 नवंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के पहले चरण का शुभारंभ किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1912 में सिकल सेल को घातक अनुवांशिक रोग घोषित कर दिया था।
दरअसल सिकलसेल में शरीर का खून सूख जाता है। यह लाइलाज रोग है जिसमें पीड़ित को हर दो माह में नया खून चढ़ाना पड़ता है। डॉक्टर बताते हैं यह इतना भीषण रोग है कि इससे पीड़ित मरीज के शरीर में मलेरिया का वायरस भी छटपटाकर दम तोड़ देता है। सिकलसेल से पीड़ित मरीज को भयंकर दर्द होता है। एमपी में आदिवासियों को यह रोग खासतौर पर होता है और इसे आनुवांशिक रोग कहा जाता है। अब इसकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

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