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Akhara Niyam: अखाड़ों में कौन होते हैं कोतवाल, नियम तोड़ने पर दंड का क्या होता है प्रवधान, यहां जानिए

Akhara Niyam: महाकुंभ में अखाडों की एक अलग दुनिया है। इनके नियम, परंपराएं, कायदे-कानून भी अलग हैं। यहां अखाड़ों की देखभल के लिए कोतवाल का चयन होता है। जो अखाड़े में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।

प्रयागराजJan 27, 2025 / 12:22 pm

Sachin Kumar

Akhara Niyam

महाकुंभ में अखाड़े के कोतवाल

Akhara Niyam: प्रयागराज के संगम तट पर दुनिया का सबसे दिव्य और भव्य महाकुंभ मेला लगा हुआ है। इसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हुई थी और 26 फरवरी महाशिव रात्रि तक चलेगा। यहां साधु-संतों के साथ-साथ देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी के संगम में स्नान के लिए जुट रहे हैं।
कुंभ और महाकुंभ के आयोजन की परंपरा सदियों पुरानी है। इस आध्यात्म के विशाल आयोजन में अखाड़ों का विशेष महत्व है। भारतीय संत परंपरा में अखाड़े अहम भूमिका निभाते हैं। ये धार्मिक संगठनों के रूप में कार्य करते हैं, जिनमें साधु-संतों का एक विशिष्ट समूह होता है। इन अखाड़ों में कोतवाल एक महत्वपूर्ण पद होता है। आइए जानते हैं कोतवाल पद और अखाड़े के नियमों के बारे में।
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अखाड़ों के कोतवाल

कोतवाल अखाड़े के अनुशासन और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं। उन्हें अखाड़े के नियमों और परंपराओं को लागू करने और यह सुनिश्चित करने का दायित्व होता है कि सभी संत और सदस्य इन नियमों का पालन करें। कोतवाल को अखाड़े का कानून लागू करने वाला अधिकारी भी कहा जा सकता है। वे संतों के बीच किसी भी विवाद को सुलझाने और अखाड़े की मर्यादा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। हर अखाड़े में दो कोतवाल नियुक्त किए जाते हैं। इनका चयन कुंभ या महाकुंभ की शिविर स्थापना के समय किया जाता है।
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अखाड़ों में नियम तोड़ने का दंड

अखाड़ों में नियम और अनुशासन का पालन अनिवार्य होता है। यदि कोई सदस्य नियमों का उल्लंघन करता है, तो इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। इन दंडों का निर्धारण अखाड़े की परंपरा, नियम और घटना की गंभीरता के आधार पर होता है। यहां तक कि अगर कोई साधु किसी पद पर है और वह अखाड़े के नियमों के विरुद्ध हरकत करता है तो उसे पद से हटा दिया जाता है।

अखाड़ों में कोतवाल का कर्तव्य

मुख्य रूप से कोतवाल की भूमिका अखाड़े की सुरक्षा और उसकी देखभाल की होती है। कोतवाल के निर्णय के बिना अखाड़े में किसी भी तरह का नया कार्य या कोई अन्य गतिविधि नहीं हो सकती है। नियमों का पालन कराना और उल्लंघन करने वालों को उचित दंड देना अखाड़े की गरिमा और अखंडता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार कोतवाल अखाड़े की संरचना और संचालन में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में काम करते हैं।
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