धार्मिक मान्यता के अनुसार मां संतोषी सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करने वाली देवी हैं। विशेष रूप से इनकी पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है। जो भक्त इस शुभ दिन पर मां संतोषी की विधिवत उपासना करते हैं उनको सौभाग्य, धन-वैभव और शांति की प्राप्ति होती है। तो आइए यहां जानते हैं माता की पूजा के नियम
पूजा के नियम
मां संतोषी की पूजा करने के लिए
शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद मां के व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूजा स्थल पर माता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर घी का दीपक जलाएं और लाल पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद मां को गुड़ चने का भोग लगाएं और प्रतिमा के सामने आसन लगा कर मां संतोषी का नाम जप करें। पूजा के आखिरी में संतोषी मां की आरती का गायन जरूर करें। तभी आपकी पूजा पूर्ण और सफल होगी।
पूजा के लाभ
मां संतोषी की उपासना करने वाले जातकों को आर्थिक सुधार के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। जो लोग सच्चे मन से मां की भक्ति करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही मां संतोषी का हमेशा आशीर्वाद बना रहता है।
संतोषी माता की व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है, एक वृद्धा के सात पुत्र थे। छह पुत्र तो रोज़ कमाते-खाते, परंतु सबसे छोटा पुत्र सीधा-सादा और धार्मिक प्रवृत्ति का था। भाई-भाभियाँ उसे तुच्छ समझते और घर का बचा-खुचा भोजन ही देते। एक दिन उसने सोचा कि इस तरह रहने से अच्छा है कि मैं दूर जाकर अपनी किस्मत आज़माऊँ। माता से आशीर्वाद लेकर वह दूसरे नगर चला गया। वहाँ एक सेठ की दुकान पर नौकरी करने लगा। उसकी ईमानदारी और मेहनत से सेठ बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अच्छी मजदूरी मिलने लगी। समय बीतता गया, और कुछ वर्षों में उसने अच्छा धन अर्जित कर लिया। इधर उसकी माँ और पत्नी उसकी राह देख रही थीं। माँ हमेशा भगवान से प्रार्थना करती थी कि बेटा कुशलतापूर्वक घर लौट आए।
जब छोटे पुत्र ने पर्याप्त धन संचित कर लिया, तो घर लौटने की इच्छा हुई। लेकिन उसके भाइयों की पत्नियों को यह बात सहन नहीं हुई। उन्होंने उसके भेजे हुए धन को हड़प लिया और उसकी माँ व पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया।
वहां उसकी पत्नी बहुत दुखी थी और एक दिन एक वृद्धा से मिली, जिसने उसे संतोषी माता के व्रत की महिमा बताई। वृद्धा ने कहा कि यदि वह 16 शुक्रवार तक व्रत रखे और कथा सुने, तो माता कृपा करेंगी। उसकी पत्नी ने श्रद्धा से व्रत करना शुरू किया। धीरे-धीरे उसके दुख दूर होने लगे।
उधर, संतोषी माता की कृपा से उसका पति भी घर लौट आया। उसने देखा कि उसकी माँ और पत्नी बहुत कष्ट में हैं। जब उसे सच्चाई पता चली, तो उसने अपनी माँ और पत्नी को सम्मानपूर्वक अपने घर में स्थान दिया और भाइयों को उनके किए की सज़ा दी।
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