ग्राम विकास अधिकारी व वनविभाग की टीम ने पहुंचकर बंदरों की मौत का रहस्य खोजने की पड़ताल की गई। खबर फैलने के बाद आसपास के ग्रामीणों की भीड़ इक_ा हो गई तथा बंदरों की तलाश शुरू की गई। कटीली झाडिय़ों, पत्थर की खदानों में 18 मृत बंदर पड़े मिले। पशु चिकित्सकों की टीम ने पहुंचकर मृत बंदरों का पोस्टमार्टम कर बंदरों की रहस्यमयी मौत के कारणों को खोजने की कोशिश की गई। हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि रात्रि में एक वाहन को जंगल में जाते हुए देखा गया था। वाहन चालक ने ही मृत बंदरों को जंगल में सुनसान जगह पर फेंकने का अंदेशा है। जंगल में मृत अवस्था में बंदरों को पॉलिथीन से पकडक़र फेंका गया था, जिसके प्रमाण भी मिले हैं। वनविभाग ने मृत बंदरों का दाहसंस्कार किया है। ग्रामीणों ने बताया कि कई मृत बंदरों के मुंह से झाग निकल रहा था, जिससे यह लगता है कि उन्हें किसी जहरीले पदार्थ का सेवन कराया गया था। हालांकि पंचायती राज और वन विभाग व चिकित्सकीय टीम ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। चिकित्सकों ने बंदरों को भूख से तड़पकर मरने का अंदेशा जताया है।
चांदपुरा के जंगल में बंदरों ने बनाया ठिकाना हाइवे स्थित चांदपुरा, मेंढारी एवं बथुआखोह के जंगल व पेड़ों को बंदरों ने अपना आशियाना बना लिया है। इससे आसपास के गांवों में रह रहे ग्रामीणों की भी परेशानियां बढ़ रही हैं। अभी तक बंदर दिन में ही उत्पात मचाते थे अब रात में भी पेड़ों पर ही अपना आशियाना बनाने से वह देर शाम तक भी उत्पात मचाते रहते हैं। यही हाल सरमथुरा में किसी से छिपा नही हैं। कॉलोनियों में ही नहीं सडक़ों पर भी बंदरों के उत्पात से आमजन की परेशानियां बढ़ गई हैं। जबकि हर माह मंकी वाइट के सैकड़ों पीडि़त अस्पताल पहुंच रहे हैं।