यहां माइनर कैनाल की सफाई और रखरखाव न होने के कारण पानी का बहाव अवरुद्ध हो गया है। नहरों के चोक हो जाने से खेतों तक पानी पहुंचने की बजाय ग्रामीणों के घरों में घुस रहा है, जिससे हालात तालाब जैसे बन गए हैं। ग्रामीणों के घरों में 2 फीट तक पानी भर चुका है, जिससे लोगों का निकलना और दैनिक निस्तार भी प्रभावित हो गया है।
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दो वर्ष पहले तत्कालीन कलेक्टर विकास मिश्रा ने इस नहर का निरीक्षण कर जल्द सुधार के निर्देश दिए थे, लेकिन जल संसाधन विभाग तब से अब तक केवल आश्वासन पर आश्वासन देता रहा है। विभाग की तरफ से न तो नहरों की सफाई की गई और न ही मेंटेनेंस पर ध्यान दिया गया।
किसानों और ग्रामीणों की तरफ से कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें की गईं, लेकिन जिले के वरिष्ठ अधिकारी और शहपुरा के जिोदार अधिकारी किसानों की समस्या को नजर अंदाज करते रहे। अब स्थिति यह है कि सिंचाई विभाग की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता ने ग्रामीणों को प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में ला खड़ा किया है।
सिंचाई के लिए खेतों में पानी नहीं
नहरों की सफाई नहीं होने से पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है। किसान खेतों में सिंचाई के लिए पानी को तरस रहे हैं, उसी पानी का दुरुपयोग और उसका अनियंत्रित बहाव लोगों के घरों में तबाही का कारण बन रहा है। एक ओर खेत सूखे हैं, दूसरी ओर घरों में पानी का भराव है।