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CG News: नवागढ़ और नेवसा सहकारी समिति में गड़बड़ी के आरोप, वसूली की प्रक्रिया शुरू

CG News: दुर्ग जिले में किसानों के नाम फर्जी ऋण दिखाकर 1.88 करोड़ रुपए से ज्यादा का घालमेल और धान के शॉर्टेज से 84 लाख रुपए से ज्यादा की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले समिति प्रबंधक की सेवा समाप्त कर दी गई है।

दुर्गJun 28, 2025 / 03:22 pm

Shradha Jaiswal

CG News: नवागढ़ और नेवसा सहकारी समिति में गड़बड़ी के आरोप, वसूली की प्रक्रिया शुरू(photo-unsplash)

CG News: नवागढ़ और नेवसा सहकारी समिति में गड़बड़ी के आरोप, वसूली की प्रक्रिया शुरू(photo-unsplash)

CG News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में किसानों के नाम फर्जी ऋण दिखाकर 1.88 करोड़ रुपए से ज्यादा का घालमेल और धान के शॉर्टेज से 84 लाख रुपए से ज्यादा की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले समिति प्रबंधक की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा समिति प्रबंधक के कार्यकाल में 90 लाख रुपए से ज्यादा का संदेहास्पद भुगतान भी पाया गया है।
संदेहास्पद भुगतान के साथ घालमेल और शॉर्टेज से नुकसान की राशि की वसूली भी समिति प्रबंधक से की जाएगी। जिला सहकारी बैंक के प्राधिकृत अधिकारी व कलेक्टर अभिजीत सिंह की अध्यक्षता में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के ऋण उप समिति की बैठक में यह फैसला किया गया है।
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CG News: गड़बड़ी की राशि भी होगी वसूल

मामला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के अधीन नवागढ़ व नेवसा सहकारी समिति का है। वर्ष 2021 में नरेंद्र सिंह ठाकुर नवागढ़ शाखा अंतर्गत नवागढ़ और नेवसा समिति का प्रभार संभाल रहे थे। इस दौरान दोनों शाखाओं में गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। इसकी शिकायत पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा मामले की जांच कराई। प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर प्रबंधक को 26 मई 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इस पर समिति प्रबंधक द्वारा 6 जुलाई 2022 को जवाब प्रस्तुत किया गया।

इस तरह गड़बड़ी के हैं आरोप

तब 9 बिंदुओं के जवाब में समिति प्रबंधक ने बैक से ऋण लेकर तथा अन्य मदों की राशि सेविंग खाते में जमा करना स्वीकार भी किया था, लेकिन तब कार्रवाई के बजाए मामला दबा दिया गया। इसके बाद पत्रिका ने इसका खुलासा करते हुए समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद मामले की दोबारा जांच कराई गई। इसमें गड़बड़ी प्रमाणित होने पर यह कार्रवाई की गई। कार्रवाई से समितियों में हड़कंप मचा हुआ है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग सीईओ एसके जोशी ने कहा की मामले की टीम गठित कर जांच कराई गई है। इसमें गड़बड़ी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। संबंधित को नोटिस जारी कर स्थिति स्पष्ट करने का अवसर भी दिया गया था। उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में नियमानुसार सेवा समाप्ति की कार्रवाई की गई। संबंधित से नियमानुसार राशि की वसूली भी की जाएगी।

इस तरह गड़बड़ी के हैं आरोप

नवागढ़ में पदस्थ रहने के दौरान प्रबंधक नरेंद्र सिंह ठाकुर ने संचालक मंडल की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाकर किसानों की मंजूरी के बिना 1 करोड़ 20 केसीसी ऋण स्वीकृत कर यह राशि नियम विरूद्ध सेविंग खाते में जमा कराकर आहरित कर धान खरीदी व्यय के नाम से संदेहास्पद बिली को भुगतान कर दिया। इसी तरह नेवसा समिति में भी 30 लाख की गड़बड़ी की गई। इसके साथ ही ब्याज अनुदान, ऋण वसूली, फसल बीमा क्षतिपूर्ति की राशि भी धान खरीदी के संदेहास्पद बिलों का भुगतान बताकर आर्थिक चोट पहुंचाई गई।

चेतावनी पर नहीं दिया ध्यान

नवागढ़ और नेवसा में उन्होंने 2019-20 और 2020-21 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बाद सुरक्षा व भंडारण को लेकर आवश्यक व्यवस्था नहीं कराया। इसके चलते नवागढ़ समिति को वर्ष 2019-20 में 25 लाख 46 हजार 428 रुपए और नेवसा समिति को 4 लाख 56 हजार 842 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह वर्ष 2020-21 की धान खरीदी में 3 फीसदी शार्टेज की छूट देने के बाद भी नवागढ़ समिति को 47 लाख 55 हजार 951 रुपए और नेवसा समिति को 7 लाख 17 हजार 270 रुपए नुकसान उठाना पड़ा। इस तरह दोनों वर्ष को मिलाकर दोनों समितियों को मिलाकर 84 लाख 76 हजार 492 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
तात्कालीन प्रबंधक ठाकुर पर आरोप है कि नवागढ़ समिति के प्रबंधकारिणी की बैठक 30 जनवरी 2021 को धान खरीदी के लिए क्त्रस्य किए गए वस्तुओं की राशि भुगतान का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन प्रस्ताव व नियम विरूद्ध 16 लाख 66 हजार 857 रुपए के बिलों का भुगतान कर दिया गया है। वहीं स्वीकृत बिलों में विविध मदों पर व्यय दर्शाया गया है। जबकि भंडार क्रय नियम के पालन के बाद समिति के बोर्ड के समक्ष बिल भुगतान के लिए रखा जाना था। इसके अलावा कई और संदेहास्पद भुगतान के आरोप है।
बैंक के सीईओ ने तात्कालीन समिति प्रबंधक को आरोप पत्र जारी कर जवाब का अवसर भी दिया था जिसमें बताया गया है कि उक्त सभी कृत्य गंभीर दुराचरण की श्रेणी में आता है। उक्त कार्य बैंकिंग नियम के विरूद्ध और बैंक कर्मचारी सेवा नियम के तहत दंडनीय अपराध भी है। ऐसे में आरोप पत्र का संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने की पर बैंक कर्मचारी सेवा नियम 57 के अनुसार सेवा से पृथक कर दंडित करने की कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन उन्होंने चेतावनी पर भी ध्यान नहीं दिया।

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