यह घटना एटा जिले के जलेसर थाना क्षेत्र की है। 14 साल की एक किशोरी 1 अप्रैल 2019 को स्कूल से घर लौट रही थी, तभी गांव के वीरेश ने उसे पकड़ लिया। आरोप है कि वीरेश किशोरी को गेहूं के खेत में ले गया और उसके साथ अश्लील हरकतें कीं। किशोरी के चिल्लाने पर दो लोग वहां पहुंच गए, जिसके बाद वीरेश ने लड़की को जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गया।
पुलिस पर लगे गंभीर आरोप
पीड़िता के पिता का आरोप है कि इस मामले में पुलिस का रवैया शुरू से ही एकतरफा रहा। जब रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई, तो किशोरी के पिता को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। कोर्ट के आदेश के बाद ही POCSO एक्ट के तहत दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज की जा सकी।
‘समोसों’ के बदले फाइनल रिपोर्ट का आरोप
रेप केस की जांच कर रहे अधिकारी ने 30 दिसंबर 2024 को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी। इस पर पीड़िता के पिता ने 27 जून 2025 को प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की। पिता ने कोर्ट में सीधा आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने मौके पर मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयान नहीं लिए और पीड़िता ने खुद अपने बयान में दुष्कर्म की बात कही थी, इसके बावजूद गंभीर मामले की जांच गलत तरीके से की गई। पिता ने अपने आरोप में यह भी कहा कि आरोपी वीरेश की समोसे की दुकान है, और जांच अधिकारी ने वहां जाकर महज 6 समोसों की रिश्वत लेकर केस की जांच को निराधार तथ्यों के आधार पर खत्म कर दिया।
कोर्ट ने रिपोर्ट पर उठाए सवाल, एफआर रद्द
पीड़िता के पिता ने जांच अधिकारी की फाइनल रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े किए। दरअसल, एफआर में जांच अधिकारी ने लिखा था कि किशोरी ने वीरेश से उधार समोसे मांगे थे। समोसे उधार न देने के कारण दोनों के बीच विवाद हुआ, और इसी वजह से मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए वीरेश के खिलाफ केस दर्ज कराया गया।
इन सभी दलीलों को सुनने के बाद, कोर्ट ने जांच अधिकारी की एफआर को निरस्त कर दिया और मामले को ‘परिवाद’ के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया। यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए न्याय की नई उम्मीद जगाता है।