यह भी पढ़ें:
Protest of Rationalization: Video: युक्तियुक्तकरण के विरोध में BEO दफ्तर का घेराव करने जा रहे कांग्रेसियों की पुलिस से झूमाझटकी, बेरिकेड तोडक़र घुसे दरअसल,
युक्तियुक्तकरण के तहत स्कूलों का मर्जर हो रहा है। ऐसे में अतिशेष शिक्षक मतलब ज्यादा शिक्षक वाले स्कूलों की अलग सूची बनाई गई। इन्हीं में छांटकर शिक्षकों को इधर-उधर भेजा जा रहा है। विभाग पर सूची में गड़बड़-झाला करने के आरोप हैं। प्रक्रिया के तहत पहले ब्लॉक से शिक्षकों की पोस्टिंग की जानकारी जिले को भेजी गई। इसमें गलत जानकारी थी। मसलन पर्याप्त शिक्षक वाले स्कूलों में कम शिक्षक बताए गए।
सिर्फ इसलिए, ताकि दूसरों को बलि का बकरा बनाकर अपने चहेतों को दूर पोस्टिंग से बचाया जा सके। इस चक्कर में कई सीनियर शिक्षकों को भी अतिशेष बता दिया गया। गड़बड़ी की भनक लगी, तो कलेक्टर ने छुरा बीईओ किशनलाल मतावले के खिलाफ विभागीय सचिव को कार्रवाई के लिए लिख दिया है। ऐसी गड़बड़ी मैनपुर, फिंगेश्वर ब्लॉक में भी सामने आई। लेकिन, यहां के बीईओ महेश राम पटेल और रामेंद्र कुमार जोशी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वो भी तब, जब पुरानी सूची में डाले गए शिक्षकों को अतिशेष से हटाने का आदेश गड़बड़ी की खुली गवाही दे रहा है।
फिंगेश्वर ब्लॉक में युक्तियुक्तकरण में धांधली के लिए शिक्षा अफसरों ने कहीं शिक्षकों के नंबर गलत बताए, तो कहीं पूरे स्कूल का सेटअप ही बदल डाला। उदाहरण के तौर पर राजिम के ब्वॉयज मिडिल स्कूल में 110 स्टूडेंट हैं। इनके मुकाबले जितने शिक्षकों की स्कूल में पोस्टिंग है, उस हिसाब से 2 अतिशेष होने थे। चहेते को मनपसंद जगह में बनाए रखने के लिए केवल एक शिक्षक को अतिशेष बताया गया।
दूसरा उदाहरण ब्लॉक के हाई स्कूलों का है। 2009-10 में उन्नयन के बाद यहां प्राचार्य का एक और 6 शिक्षकों के पद मंजूर हुए। एक-एक शिक्षकों को अतिशेष बताकर 1-6 को 1-5 स्टाफ बना दिया। सरकारी सेटअप में ही कटौती कर डाली। उजागर गड़बड़ी को दबाकर बीईओ को बचाने की स्ट्रैटजी के बाद डीईओ की भूमिका भी संदिग्ध हो चली है। वैसे भी सारी फाइल उन्हीं के हस्ताक्षरों के बाद आगे बढ़ी है।
मैनपुर ब्लॉक में भी स्कूलों से जुड़े असल तथ्य छिपाए गए। गोढ़ियारी स्कूल को बीईओ ने जानबूझकर 2 बार खाली बताया। ऐसे में छुरा ब्लॉक के 2 सहायक शिक्षकों ने काउंसिलिंग में इसे चुन लिया। चयन के बाद शिक्षक जॉइनिंग के लिए स्कूल गए, तो पता चला कि प्राइमरी में पहले ही 2 शिक्षक पदस्थ हैं। एक शिक्षक ने तो स्कूल जॉइन कर लिया, लेकिन दूसरे ने डीईओ दफ्तर जाकर पूरे मामले की जानकारी देना सही समझा।
वहां गए, तो अफसरों ने गलती छिपाने के लिए आनन-फानन में आदेश संशोधित करते हुए शिक्षक को वापस छुरा ब्लॉक में पोस्टिंग दे दी। उन्हें जहां भेजा गया, उस स्कूल के बारे में काउंसिलिंग के दौरान कोई जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे ही कई व्याख्याताओं के नाम गलत तरीके से अतिशेष सूची में डाले गए, जिसे खुद कलेक्टर के आदेश पर बदला गया।