CG News: दशकों बाद भी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा
मैनपुर विकासखण्ड के ग्राम अमाड, देवझर, अमली जो बीहड जंगल के भीतर बसा गांव है और इन ग्रामों में पहुंचने के लिए उदंती नदी के साथ कई छोटे-बड़े नालों को पार करना पड़ता है। जहां इन दिनों कमर से ऊपर तक पानी चल रहा है और ग्रामीणों को राशन
स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधा के लिए आना-जाना करना मजबूरी बन गई है। इन ग्रामों में स्वास्थ्य सुविधा बेहद लचर है और तो और संजीवनी एक्सप्रेस 108 महतारी एक्सप्रेस भी नहीं पहुंच पाती।
सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के दिनों में मरीजों को लाने ले जाने के साथ प्रसव को लेकर होती है। मरीजों को कंधे पर बिठाकर नदी पार कर लाना ले जाना पडता है। गरियाबंद जिले के आदिवासी मैनपुर विकासखण्ड के उदंती अभयारण्य के भीतर बसे ग्रामों के लोगों को दशकों बाद भी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। टाइगर रिजर्व के भीतर बसे होने के कारण इन ग्रामों में पक्की सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा।
तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 40 किमी दूर ग्राम पंचायत अमाड़ है। ग्रामीणों ने इस मार्ग में पड़ने वाले नदी नालों में पुल निर्माण के साथ पक्की सड़क निर्माण की मांग करते थक चुके है। इन ग्रामों में न तो पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण किया गया है और न ही स्वास्थ्य शिक्षा पेयजल बिजली जैसे बुनियादी सुविधाएं इन्हें नसीब हो पा रही है। कारण जब भी कोई विकास और निर्माण कार्य की बात आती है तो वन विभाग द्वारा अभयारण क्षेत्र का हवाला देकर निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी जाती है।
सांसद-विधायक यहां आएं तो बात बने
CG News: यहां के ग्रामीण कहते है जब भी कोई बड़े नेता का मैनपुर क्षेत्र मे दौरा होता है तो उनके पास बिजली लगाने की मांग प्रमुखता के साथ करते है। लेकिन अब तक बिजली लगाने कोई ठोस पहल नही किया गया है। ग्राम पंचायत अमाड़ के सरपंच सोहद्रा बाई नेताम, पूर्व सरपंच पुस्तम मरकाम, बीरसिंह, गंधर राम यादव, रामसिंह सोरी, हेमलाल यादव, पार्वती, सहदेव, दशोदा बाई आदि ग्रामीणों ने बताया कि सांसद, विधायक, बड़े अधिकारी के गांव में दौरे के बाद ही वे यहां के सड़क, स्वास्थ्य, बिजली मूलभूत बुनियादी सुविधाओं को समझ पाएंगे और ग्रामीणों को ये सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी। क्योंकि हम लोग तो सैकड़ो आवेदन देकर थक चुके हैं, लेकिन निराकरण करने वाला कोई नही है। बारिश के चार माह हमें स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पाती है। मूलभूत सुविधाओं के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है। बीमार पड़े तो झाड़-फूंक ही सहारा
ग्रामीणों का कहना है सांसद और विधायक के गांवों में आने के बाद ही इन ग्रामों की स्थिति सुधर पाएगी और यहां मूलभूत सुविधाएं प्रशासन उपलब्ध कराएगी, ग्राम
पंचायत अमाड़ की जनसंख्या लगभग 1300 के आसपास है, स्वास्थ्य सुविधा की बात ही मत पूछो। स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में आज भी ईक्कीसवीं सदी में इस क्षेत्र के लोग झाड़ फूक कराने मजबूर होते हैं। बिजली की कोई सुविधाएं नही है, सौर उर्जा लगाया गया है लेकिन उसकी स्थिति सभी को मालूम है। इन ग्रामों में विद्युत व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है। शासन की सरप्लस बिजली अब तक यहां नही पहुंची।