गाजियाबाद में कमिश्नर ने क्यों की कार्रवाई?
गाजियाबाद पुलिस सूत्रों की मानें तो कमिश्नर जे. रवींद्र गौड ने नागरिक केंद्रित सेवाओं में पारदर्शिता लाने और फरियादियों की समस्याओं को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से फीडबैक सेल और कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की थी। इसका मकसद था कि आवेदकों की शिकायतों की जांच के बाद उनके फीडबैक के आधार पर पुलिस की कार्यप्रणाली को आंका जाए। इसी कड़ी में 2 और 3 जुलाई को फीडबैक सेल को चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट मिली। ये सभी पुलिसकर्मी आवेदकों से अनुचित व्यवहार, लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी पाए गए। गाजियाबाद के एडिशनल सीपी आलोक प्रियदर्शी ने HT को बताया कि निलंबित पुलिसकर्मियों में इंदिरापुरम थाने के हेड कांस्टेबल प्रवीण कुमार, सौरभ बघेल और अमित कुमार शामिल हैं। इनके अतिरिक्त मसूरी थाने में तैनात पूरण सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। वहीं, सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने तीन अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका को उजागर किया। वीडियो में भ्रष्टाचार और गलत तरीके से पैसे मांगने का आरोप लगाया गया था। इसकी पुष्टि होते ही मसूरी थानाक्षेत्र में पीआरवी वाहन पर ड्यूटी कर रहे मुख्य आरक्षी मोहम्मद नाजिम, चालक विश्वेन्द्र सिंह और आरक्षी कुंदन को भी तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया।
पासपोर्ट सत्यापन पर सख्ती
दूसरी ओर, डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने बीट अधिकारियों के साथ बैठक कर पासपोर्ट और चरित्र सत्यापन प्रक्रियाओं की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि इंदिरापुरम थाना क्षेत्र में इस प्रक्रिया का पालन सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। डीसीपी ने निर्देश दिया कि किसी भी आवेदक को वेरिफिकेशन के लिए थाने न बुलाया जाए। सत्यापन सिर्फ आवेदक के पते पर जाकर ही किया जाए। डीसीपी ने यह भी आदेश दिया कि सभी थानों और पुलिस चौकियों में रोजाना होने वाली जनसुनवाई का रिकॉर्ड दर्ज किया जाए। इसके लिए विशेष रजिस्टर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें प्रत्येक शिकायतकर्ता की शिकायत, समय और उस पर हुई कार्रवाई का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। साथ ही बीट पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे शिकायतों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करें। इसका उद्देश्य नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से लेना और पुलिस की जवाबदेही तय करना है।