चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थऱ साबित
अपने संबोधन में महामहिम ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसे विलक्षण विभूति के पवित्र नाम से जुड़े इस विश्वविद्यालय में आकर उनके प्रति श्रद्धा का और अधिक संचार हो रहा है। यह विश्वविद्यालय समृद्ध, प्राचीन परंपराओं का नवनिर्मित व प्रभावशाली आधुनिक केंद्र है। यह उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन व चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थऱ साबित होगा।
उच्च स्तरीय सुविधाओं का केंद्र है आयुष विश्वविद्यालय
राष्ट्रपति ने कहा कि यहां उच्च स्तरीय सुविधाओं का निर्माण किया गया है, जिनका लाभ जनसामान्य को सुलभ होगा। इस विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज उत्कृष्टता से लाभान्वित हो रहे हैं। आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्चतम उपाधियों के स्तर पर भी शिक्षण एवं शोध कार्य किया जाएगा। यहां आयुष पद्धति से जुड़े रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शिक्षा दी जाएगी। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विश्वस्तरीय व स्वीकार्य बनाने के लिए शोध कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा।
विश्व में बज रहा भारत का डंका
राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारत के पूर्वजों और ऋषि-मुनियों के ऋणी हैं, हमें उनका मान रखना है। आज विश्व में भारत का डंका बज रहा है। राष्ट्रवासियों ने स्वास्थ्य को संपदा बताते हुए इसे ठीक रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विकसित हो, इसके लिए हमें भी आज से ही प्रयास करना होगा। शैक्षणिक, चिकित्सा समेत यह संस्था भी इसका माध्यम बनेगी।
केंद्र व प्रदेश सरकार ने इन पद्धतियों को किया प्रोत्साहित
राष्ट्रपति ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की सर्वसमावेशी व उपयोगी दृष्टि के आधार पर हमने विदेश में उत्पन्न हुई चिकित्सा पद्धतियों को भी आयुष पद्धतियों में शामिल किया है। आज यूनान तथा मध्य एशिया के देशों में यूनानी चिकित्सा पद्धति का उतना उपयोग नहीं होता, जितना उपयोग भारत में होता है। जर्मनी में विकसित हुई होम्योपैथिक चिकित्सा को हमारे देश ने पूरी तरह अपना लिया है। 2014 में केंद्र व 2017 से यूपी सरकार ने आयुष विभागों की स्थापना करके देश-विदेश की इन सभी उपयोगी पद्धतियों को नई ऊर्जा के साथ प्रोत्साहित किया है। समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्र देव सिंह, डॉ. संजय निषाद, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, सांसद रवि किशन, कुलपति के. रामचंद्र रेड्डी आदि मौजूद रहे।