ऐसे में माना जा रहा है कि खाद्य तेलों के दामों में मंदी के असर से आमजन को राहत मिलेगी। तेल कारोबारियों का मानना है कि इसमें थोड़ी गिरावट और भी देखने को मिल सकती है। वहीं कुछ बड़ी कंपनियों के तेलों के दामों में भी जल्द ही कमी देखने को मिलेगी।
मूल सीमा शुल्क 16.5 फीसदी हुआ
14 सितंबर 2024 से प्रभावी, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क 0 से बढ़ाकर 20 फीसदी किया गया था। इसके चलते कच्चे तेलों पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5 फीसदी हो गया था। सरकार के हाल में लिए गए निर्णय से कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर अब प्रभावी मूल सीमा शुल्क 16.5 फीसदी कर दिया गया है। कच्चे पाम और सोया तेल पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने से कच्चे तेल का आयात बढ़ेगा और खाद्य तेल सस्ते हो रहे हैं। ये भी पढ़ें: मेट्रो की ‘ओरेंज लाइन’ के लिए 200 से ज्यादा घरों-दुकानों में चलेगा बुलडोजर ! 120 टन रोजाना है खाद्य तेलों की खपत
खाद्य तेलों के थोक कारोबारी अनिल पंजवानी ने बताया कि खाद्य तेलों में आयात शुल्क कम होने का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। थोक में रिफाइंड तेल 138-140 रुपए किलो था, जो अब 128-130 रुपए किलो हो गया है। सनफ्लॉवर ऑयल 148-150 रुपए किलो था, जो अब 138-140 रुपए किलो हो चुका है।
शहर में रोजाना 100 से 120 टन खाद्य तेलों की खपत होती है। खेरिज किराना व्यवसायी संघ के अध्यक्ष दिलीप खंडेलवाल ने बताया कि फुटकर बाजार में भी 130 रुपए किलो बिक रहा सोयाबीन तेल अब 122 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं मूूंगफली का तेल 200 रुपए किलो से 190 रुपए प्रति किलो हो गया है।
सरसों का तेल महंगा बिक रहा एक ओर जहां सरकार की ओर से इंपोर्ट ड्यूटी कम करने से रिफाइंड और सनफ्लॉवर तेल सस्ते हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरसों का तेल महंगा ही बिक रहा है। बताया जाता है कि थोक बाजार में मार्च-2025 में सरसों तेल के दाम 125-127 रुपए किलो थे, जो अब 140-142 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंचे हैं। इसकी वजह सरसों की फसल कम होना बताया जा रहा है।