हर साल बढ़ रही स्प्रिंग की डिमांड
रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली(Sithauli) की शुरूआत 1989 में हुई थी। इसके बाद 1990 में स्प्रिंग बनना शुरू हो गई थी।यहां मांग के हिसाब से स्प्रिंगों का निर्माण किया जाता है और हर साल इसकी संया में इजाफा होता जा रहा है। इस साल पहली बार टारगेट एक लाख को पार कर गया है। फैक्ट्री में सबसे ज्यादा एलएचबी कोच की स्प्रिंग बनाई जाती हैं।स्प्रिंग की संख्या बढ़ते ही तीन शिट में काम
45 लोगों को और मिला रोजगार 35 साल में पहली बार स्प्रिंग की संख्या बढ़ते ही दो की जगह तीन शिट में काम शुरू किया गया है। फैक्ट्री में 275 लोगों का स्टाफ है। तीसरी शिट शुरू होने से लगभग 45 लोगों को और रोजगार मिला है। यहां एक दिन में 450 से 500 स्प्रिंग बनाई जा रही हैं। जल्द ही हर दिन 600 स्प्रिंग बनाने की प्लानिंग की जा रही है।तीन हजार स्प्रिंग से शुरू हुआ था कारखाना
सिथौली स्प्रिंग कारखाने में 1990 में स्प्रिंग का निर्माण शुरू हुआ था। पहले साल तीन हजार स्प्रिंग बनाई गईं। उसके बाद पांच हजार स्प्रिंग तैयार हुईं। मांग बढ़ते ही हर साल लक्ष्य बढ़ता गया और अब यह आंकड़ा एक लाख पार हो गया है।50 मशीनों पर बनतीं स्प्रिंग
स्प्रिंग कारखाने में करीब 50 मशीनें लगी हुई हैं। इन मशीनों पर एक बार में दो से तीन कर्मचारी डिमांड के हिसाब से काम करते हैं। काम बढऩे पर कर्मचारी इसे आपस में बांट लेते हैं। भविष्य में और भी मशीनें आने की संभावना हैं, जिससे काम और बढ़ेगा।सिथौली स्प्रिंग कारखाना में इस साल टारगेट एक लाख पार हो गया है। संभवत: इस साल से वंदे भारत की स्प्रिंग भी यहां बनाई जाएगी।– मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल