हालांकि अभी इस मामले में अन्य प्रोफेसरों पर भी कार्रवाई होना बाकी है। 13 जनवरी-2025 को ईओडब्ल्यू द्वारा जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी व राजस्था न के बांसवाड़ा विवि के कुलपति डॉ. केएस ठाकुर सहित 19 प्रोफसरों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन मामला दर्ज होने का भी प्रोफेसरों पर खास असर नहीं पड़ा था और वे जेयू में बेधड़क काम कर रहे हैं। इन प्रोफेसरों को शिवशिक्त कॉलेज का कोई भी अस्तित्व नहीं मिला था और उन्होंने फर्जी तरीके से निरीक्षण कर संबद्धता की सिफारिश जारी कर दी थी। इन पर धारा 420, 409, 467, 468 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि वह जांच कर रहे हैं और दस्तावेज व साक्ष्यों का संकलन किया जा रहा है। इसके बाद चालान पेश किया जाएगा।
ये हैं प्रोफेसर जिन पर होनी है कार्रवाई
-प्रो. अविनाश तिवारी जेयू के कुलगुरू पद से हटाए गए।
-डॉ. केएस ठाकुर राजस्थान के बांसवाड़ा विवि के कुलगुरु
-सपन पटेल एचओडी जूलॉजी विभाग
-डॉ. एमके गुप्ता एचओडी बॉटनी विभाग
-डॉ. नवनीत गरुड़ फार्मेसी
-डॉ. हेमंत शर्मा डिस्टेंशन व लाइब्रेरी के डायरेक्टर
-डॉ. राधा तोमर एचओडी कैमेस्ट्री विभाग
-डॉ. निमिषा जादौन एचओडी पर्यावरण विज्ञान व पर्यावरण रसायन विज्ञान
-एसके सिंह एचओडी मैनेजमेंट विभाग
चार रिटायर और दो की हो चुकी है मौत
डॉ सीपी शिंदे, डॉ एसके हल्वे, डॉ. एसके द्विवेदी, एसके गुप्ता विवि से सेवानिवृत हो चुके हैं। जबकि डॉ. एपीएस चौहान व डॉ. आरए शर्मा की मौत हो चुकी है। वहीं डॉ. आरपी पांडेय, ज्योति प्रसाद, डॉ सुरेश सचदेवा, डॉ मीना श्रीवास्तव दूसरे कॉलेज में पदस्थ हैं।
कुलसचिव अरुण चौहान व शांतिदेव पर कार्रवाई की तैयारी
शिवशक्ति कॉलेज झुंडपुरा का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रो. अविनाश तिवारी सहित 19 प्रोफेसर पर मामला दर्ज किया था। वहीं बीते 14 साल तक कागजों में संबद्धता देने के मामले में तत्कालीन कुलसचिव-कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, डॉ आनंद मिश्रा, डॉ सुशील मंडेरिया, अरुण सिंह, डॉ. आरके बघेल, डीसीडीसी केशव सिंह गुर्जर और वर्तमान कुलसचिव अरुण चौहान व डीसीडीसी प्रो. शंतिदेव सिसौदिया पर भी कार्रवाई बाकी है। जल्द ही इन पर भी कार्रवाई हो सकती है।
विवि में धारा 52 लगाने एनएसयूआई-अभाविप ने की थी मांग
जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा केवल कागजों में शिव शक्ति महाविद्यालय झुंडपूरा को संबद्धता प्रदान करने एवं प्रति वर्ष उसे मान्यता प्रदान करने में हुए भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतकर्ता अरुण शर्मा, एनएसयूआई व अभाविप ने प्रश्नचिन्ह खड़े करते हुए मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षामंत्री इंदर सिंह परमार से विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाने की मांग की थी।
दस्तावेज और साक्ष्यों का संकलन
जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज के मामले में केस दर्ज हुआ है। अब इस मामले में इंवेस्टीगेशन की जा रही है, इसमें दस्तावेज और साक्ष्यों का संकलन किया जा रहा है। इंवेस्टीगेशन पूरी होने में कुछ वक्त लगेगा। उसके बाद चालान पेश किया जाएगा।विद्यार्थी परिषद की बड़ी जीत
यह विद्यार्थी परिषद की बड़ी जीत है। हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। विवि में यह प्रकरण गंभीर भ्रष्टाचार है, नैतिकता के आधार पर कुलपति को स्वयं ही इस्तीफा देना चाहिए था।
लंबे समय से की जा रही थी धारा 52 लगाने की मांग
जेयू के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी को पद से बर्खास्त करने के साथ विवि में धारा 52 लगाने की मांग एनएसयूआई लंबे समय से कर रही थी। इसके लिए विवि में पोस्टर भी चिपकाए, यह एनएसयूआई की बड़ी जीत है।-ईशान प्रताप सिंह चौहान, मुख्य प्रवक्ता एनएसयूआई मध्यप्रदेश