लेकिन मजबूत इच्छा शक्ति के चलते बहुत से अभ्यर्थियों ने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचकर परीक्षा दी। वहीं कोहरे ने कुछ अभ्यर्थियों का रास्ता रोका भी। इस दौरान परीक्षा केंद्रों पर वक्त को लेकर ऐसी पाबंदी बरती गई कि ग्यारह बजने के बाद एक सेकेंड की भी राहत नहीं दी गई।
ग्यारह बजते ही केंद्राधीक्षकों ने प्रवेश बंद कर दिया। इसके बाद एक या दो सकेंड की देरी से पहुंचे अभ्यर्थियों को भी प्रवेश नहीं दिया गया। गेट पर तैनात पुलिसकर्मियों से अभ्यर्थी प्रवेश देने को लेकर गुहार लगाते रहे। लेकिन पुलिस वाले भी उल्टे हाथ जोडकऱ उनसे समझाते रहे कि उनके हाथ में कुछ नहीं है।
केंद्राधीक्षकों की अनुमति पर ही प्रवेश देने की बात पुलिसकर्मियों ने कही। दूसरी तरफ डे्रस कोड को लेकर परीक्षा केंद्रों पर गफलत की स्थिति नजर आई। कुछ केंद्रों पर जाकेट आदि पहने अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जा रहा था तो कुछ कहीं पर चैन लगी जैकेट को लेकर टोकाटोकी की जा रही थी।
एक सेंटर पर एक सिक्ख अभ्यर्थी को कृपाण आदि लेकर जाने से रोका गया तो अभ्यर्थी ने तत्काल इसका विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद उसे प्रवेश मिला। परीक्षा को लेकर जिले में 11 उडऩ दस्तों का गठन किया गया था। परीक्षा को लेकर कंट्रोल रूम का संचालन किया गया। प्रभारी प्रधानाचार्य पवन कौशिक ने बताया कि निर्धारित समय पर सभी केंद्रों पर परीक्षा शुरू हुई।
परीक्षा केंद्रों के बाहर ग्यारह बजे बाद तक अभ्यर्थी पहुंचते रहे। इस दौरान उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। सर प्लीज…कहते हुए अभ्यर्थी गुहार लगाते रहे। लेकिन उन्हें नियमों का हवाला देकर प्रवेश नहीं दिया गया। कुछ अभ्यर्थियों का कहना था कि कोहरे की वजह से बस लेट हो गई। हमारा क्या कसूर है सर… लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया।
शॉल, कड़े, गहने आदि उतरवाए
परीक्षा को लेकर इस बार ड्रेस कोड में कुछ छूट दी गई थी। लेकिन महिलाओं के लिए कड़े, आभूषण आदि बाहर ही निकलवा लिए गए। परीक्षा को लेकर तैनात किए गए स्टॉफ को भी मोबाइल अंदर ले जाने की अनुमति नहीं थी। परीक्षा में लगे स्टॉफ को दस बजे तक पहुंचने की हिदायत दी गई थी। परीक्षा का समय दोपहर बारह से तीन बजे तक रहा।