मंत्री चौधरी ने अधिकारियों से कहा कि जनप्रतिनिधि ही मंत्री हैं। उनके प्रस्ताव ही अंतिम होंगे। उनकी बिना जानकारी के कोई जांच न की जाए। उन्होंने कहा कि दोनों जिलों में जल की कोई कमी नहीं है। लेकिन मैनेजमेंट में सुधार की आवश्यकता है। शहरी जल जीवन मिशन के अंतर्गत 1200 करोड़ रुपए राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिससे शहरी क्षेत्र के नागरिकों को लाभ मिलेगा।
मंत्री ने निरीक्षण के दौरान जल नमूनों (सैंपल) की जांच कराने के निर्देश देते हुए कहा कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। श्रीगंगानगर में रूडीप द्वारा किए जा रहे कार्यों में अनियमितता पाए जाने पर संबंधित एईएन को नोटिस जारी कर एपीओ करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी बताया कि हाल के महीनों में लापरवाही और अनियमितताओं के चलते 70 से अधिक पीएचईडी अधिकारियों को एपीओ किया गया है।