क्या है लासा बुखार ?
लासा बुखार (Lassa Fever) एक वायरल बीमारी है जो ‘Lassa virus’ से होती है। यह वायरस इंसानों तक मुख्य रूप से चूहों के जरिए पहुंचता है। जब चूहों का मल, मूत्र या लार किसी खाने-पीने की चीज या सतह पर लगती है और इंसान उस वस्तु के संपर्क में आता है तो वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह बीमारी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। यह भी पढ़ें:
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नाइजीरिया में लासा बुखार
(Lassa Fever) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहां के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस साल अब तक 800 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 138 लोगों की जान जा चुकी है। वायरस का प्रकोप खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखा गया है। जहां सफाई व्यवस्था कमजोर है और चूहों की संख्या ज्यादा है। इस गंभीर बीमारी को देखते हुए सरकार ने अस्पतालों में अलग वार्ड बनाए हैं और डॉक्टरों की टीम को विशेष निगरानी में रखा है।
भारत में क्या है स्थिति?
अभी तक भारत में लासा बुखार (Lassa Fever) का कोई भी एक्टिव मामला सामने नहीं आया है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने सभी राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। खासकर उन यात्रियों पर नजर रखी जा रही है जो अफ्रीकी देशों से भारत आ रहे हैं। एयरपोर्ट्स पर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है और संदिग्ध मामलों की निगरानी की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में यह वायरस फैलने की आशंका कम है लेकिन सफाई और जागरूकता जरूरी है।
किन लक्षणों से पहचानें लासा बुखार (Lassa Fever)?
लासा बुखार (Lassa Fever) के शुरुआती लक्षण सामान्य वायरल बुखार जैसे होते हैं। जैसे कि तेज बुखार, कमजोरी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश। कुछ मरीजों को खांसी, उल्टी और पेट दर्द भी हो सकता है। गंभीर मामलों में आंख, मुंह या नाक से खून बहना शुरू हो सकता है। कई बार मरीज को सुनने में दिक्कत भी हो सकती है।
कैसे करें बचाव?
इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई। खाने-पीने की चीजों को ढंक कर रखें और चूहों को घर से दूर रखें। कचरे का सही तरीके से फेकें और घर के आसपास गंदगी जमा नहीं होने दें। अगर कोई व्यक्ति हाल ही में अफ्रीका से लौटा है और उसमें Lassa Fever जैसे लक्षण देखें तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करवाएं।
क्या है भारत सरकार की तैयारी?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने Lassa Fever को लेकर सभी राज्यों को अलर्ट किया है। अस्पतालों को कहा गया है कि संदिग्ध मरीजों के लिए अलग वार्ड तैयार रखें। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को इसके लक्षणों और इलाज को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है। ICMR की लैब्स को एक्टिव मोड में रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत टेस्टिंग की जा सके।