हार्ट और किडनी पर डायबिटीज का प्रभाव
डायबिटीज हाई ब्लड शुगर के स्तर से संबंधित है, जो इंसुलिन के अपर्याप्त प्रोडेक्शन या क्रिया के कारण होता है। इंसुलिन वह हार्मोन है जो शर्करा को तोड़ता है ताकि शरीर उसे आसानी से अवशोषित कर सके। इसके बिना रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। विश्वभर में, 10 में से 1 वयस्क (20-79 वर्ष) मधुमेह से प्रभावित है, और 2030 तक इसके 643 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। भारत में, 101 मिलियन से अधिक वयस्क मधुमेह से पीड़ित हैं। हार्ट पर प्रभाव: मधुमेह के कारण, रक्त शर्करा के उच्च स्तर से रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान होता है, जिससे कार्डियोवास्कुलर डिजीज (CVD) जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस बीमारी का मुख्य कारण मृत्यु दर में वृद्धि होती है। मधुमेह वाले लोग सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना अधिक CVD का शिकार होते हैं। इसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।
किडनी पर प्रभाव: लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा से गुर्दों की छानने वाली इकाइयाँ क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे मधुमेह गुर्दा रोग (DKD) हो सकता है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बन सकता है और गुर्दे की विफलता हो सकती है, जिसके लिए डायलिसिस या प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
जटिलताओं से बचाव के उपाय : Protecting Heart and Kidneys from Diabetes
मधुमेह का प्रबंधन केवल ब्लड शुगर नियंत्रण तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसके साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य कारकों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। नियमित निगरानी और समय पर उपचार से जटिलताओं का जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है। नियमित निगरानी: रक्त शर्करा को सुरक्षित स्तर पर बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इससे CVD और गुर्दा रोग का जोखिम कम हो सकता है। HbA1c परीक्षण, जो पिछले दो से तीन महीनों में रक्त शर्करा के औसत स्तर को दर्शाता है, एक महत्वपूर्ण निगरानी उपकरण है। HbA1c स्तर को 6.5% से नीचे बनाए रखना आदर्श है।
नियमित स्वास्थ्य जांचें: रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्तर जैसे अन्य जोखिम कारकों की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए। गुर्दे की कार्यक्षमता का परीक्षण और नियमित जांचें मधुमेह गुर्दा रोग के प्रारंभिक लक्षणों का पता लगाने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, मधुमेह रेटिनोपैथी से बचने के लिए नियमित नेत्र परीक्षण करवाना भी जरूरी है।
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, दुबला प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार लें। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें और सोडियम का सेवन सीमित करें। नियमित व्यायाम: रोज़ाना व्यायाम करने से शरीर में रक्त शर्करा नियंत्रण बेहतर होता है और हृदय और गुर्दों को भी लाभ होता है।
स्वस्थ वजन बनाए रखें: अधिक वजन से रक्त शर्करा नियंत्रण में कठिनाई होती है, इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखना आवश्यक है। धूम्रपान न करें: धूम्रपान से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, और तनाव से मधुमेह और संबंधित जटिलताएँ बढ़ सकती हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।