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गले में जलन और खराश? वायु प्रदूषण को हल्के में न लें

Throat Irritation and sore throat : हाल ही में हुए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ कि बढ़ते प्रदूषण से न केवल आंखों, बल्कि कान, नाक और गले की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इस सर्वे में 56,176 व्यक्तियों ने प्रदूषण के कारण विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने की जानकारी दी, जिसमें आंखों में जलन, सूजन और गले में खराश जैसी समस्याएं प्रमुख हैं।

नई दिल्लीDec 20, 2024 / 12:20 pm

Manoj Kumar

throat Irritation and sore throat

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Throat Irritation and sore throat : दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ चुका है, जो न केवल आंखों को प्रभावित कर रहा है बल्कि गले, कान और नाक पर भी गंभीर असर डाल रहा है। हाल ही में एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रदूषण के चलते लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें ईएनटी (कान, नाक और गला) संबंधित समस्याएं प्रमुख हैं।

Throat Irritation and sore throat : वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं

प्रिस्टीन केयर द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया था, जिसमें दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, चंडीगढ़, कानपुर जैसे शहरों के लोग शामिल थे। इस सर्वेक्षण में सामने आया कि प्रदूषण के दौरान, 55 प्रतिशत लोगों ने अपने कान, नाक और गले में समस्या की रिपोर्ट की। इनमें से 38 प्रतिशत लोगों ने प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की। इसके अलावा, गले में खराश, नाक में जलन और कान में तकलीफ जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं।

प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव

इस सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि प्रदूषण के कारण ईएनटी से संबंधित समस्याओं का बढ़ना चिंता का विषय है। विशेष रूप से प्रदूषण से नाक और कान की श्लेष्मा झिल्ली में जलन हो सकती है, जो समय के साथ पुरानी समस्याओं का रूप ले सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है, क्योंकि उनका शारीरिक विकास संवेदनशील होता है।

लोगों का स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही

चिंताजनक बात यह है कि इन समस्याओं से प्रभावित 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से परामर्श नहीं करते। यह दिखाता है कि लोग प्रदूषण के प्रभावों को हल्के में लेते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं। हालांकि, सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि अधिकांश लोग प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों के प्रति जागरूक हैं और इसे लेकर चिंता व्यक्त करते हैं।

विशेषज्ञों की सलाह

प्रिस्टीन केयर के ईएनटी सर्जन डॉ. धीरेंद्र सिंह ने इस संबंध में कहा, “खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है, और खासकर बच्चों को इससे बचाने के उपाय किए जाने चाहिए। प्रदूषण के कारण नाक और कान की श्लेष्मा झिल्ली में जलन हो सकती है, जिससे समय के साथ पुरानी समस्याएं हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए मास्क पहनना, हाइड्रेटेड रहना और बाहरी संपर्क को कम करना जरूरी है।”
वहीं, प्रिस्टीन केयर के सह-संस्थापक डॉ. वैभव कपूर ने भी कहा, “यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य पर प्रभावों को हल्के में लेते हैं। अब हमें तत्काल उपायों की जरूरत है ताकि आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ने से रोका जा सके।”

प्रदूषण के प्रति जागरूकता की कमी

सर्वेक्षण के आंकड़े यह बताते हैं कि केवल 35 प्रतिशत लोग सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनते हैं, और लगभग 40 प्रतिशत लोग प्रदूषण के दौरान किसी प्रकार की विशेष सावधानी नहीं बरतते। यह स्थिति प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूकता की कमी को दर्शाती है, जबकि लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है, खासकर गले, कान और नाक से जुड़ी समस्याओं के रूप में। प्रदूषण को लेकर लोगों की लापरवाही से दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस संकट से निपटने के लिए हमें प्रदूषण के प्रभावों से बचने के उपायों को अपनाना और स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना बेहद जरूरी है।

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