World No Tobacco Day : तंबाकू से सिर्फ कैंसर नहीं, हार्ट अटैक-स्ट्रोक का भी है खतरा
Tobacco is the Root of Cancer Heart Attack and Stroke : तंबाकू सिर्फ मुंह और फेफड़े का कैंसर ही नहीं, बल्कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अस्थमा जैसी कई जानलेवा बीमारियों का भी बड़ा कारण है. देश में 28 करोड़ से ज़्यादा लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं.
World No Tobacco Day : तंबाकू से सिर्फ कैंसर नहीं, हार्ट अटैक-स्ट्रोक का भी है खतरा (फोटो सोर्स : Freepik)
World No Tobacco Day : देश तंबाकू उपभोग के लिहाज से टाइम बम पर है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम में एक वर्ष में 18.3 लाख लोगों को ही परामर्श दिया गया है। रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की यही गति रही तो तंबाकू नियंत्रण में 152 साल लगेंगे। जबकि भारत में प्रति वर्ष 18 लाख से ज्यादा जान इसके कारण जाती हैं। रोजाना 6500 नए युवा तंबाकू की लत शुरू करते हैं जो सालाना 24 लाख से ज्यादा हैं।
देश में तंबाकू उपयोग से आर्थिक क्षति 1.82 लाख करोड़ तक आंकी गई है। जो देश की जीडीपी का 1 प्रतिशत से अधिक है। यह नुकसान सरकार को तंबाकू से मिलने वाले टैक्स से अधिक है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार देश में 28 करोड़ से अधिक तंबाकू उपयोगकर्ता हैं। जबकि यह मुंह और फेफड़े का कैंसर, हार्ट अटैक, स्टोक. अस्थमा (Cancer, Heart Attack, and Stroke) जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण है।
तंबाकू को आमतौर पर सिर्फ मुंह और फेफड़ों के कैंसर से जोड़ा जाता है, लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। तंबाकू शरीर के हर कोने में जहर पहुंचाता है – दिल की धड़कन से लेकर दिमाग की नसों तक।
Tobacco is the Root of Cancer, Heart Attack, and Stroke : जो लोग तंबाकू (स्मोकिंग या चबाने वाला) इस्तेमाल करते हैं, उनमें हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और सांस की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। निकोटीन रक्तचाप को असामान्य रूप से बढ़ाता है और रक्त धमनियों को संकुचित कर देता है, जिससे दिल और दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनियाभर में 80 लाख लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से मौत का शिकार होते हैं – जिनमें से लाखों को दिल और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं।
World No Tobacco Day 2025अब भी वक्त है – तंबाकू छोड़िए और जीवन बचाइए। यह सिर्फ आपकी नहीं, आपके परिवार की भी सुरक्षा है।
कभी-कभी खाते थे तंबाकू, भारी पड़ा
अश्विनी शर्मा (58) दोस्तों के साथ कभी-कभी तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते थे। उनको वर्ष 2017 में मुंह में छाला होने का पता चला, जिसके बाद चिकित्सकों को दिखाया। कैंसर का पता चलने पर पूरा परिवार सदमे में आ गया। उन्होंने सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉ. पवन सिंघल को दिखाया। ऑपरेशन सफल हुआ। अब 8 वर्ष बाद भी चिकित्सकीय सलाह के अनुसार सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए तंबाकू नियंत्रण प्राथमिकता होना चाहिए। 2030 तक असंक्रामक रोगों से समय पूर्व मृत्यु को एक-तिहाई तक घटाने का लक्ष्य तंबाकू को छोड़े बिना असंभव है। राष्ट्रीय तंबाकू क्विटलाइन (1800-11-2356) एक दूरदर्शी पहल होते हुए भी स्टाफ की कमी, प्रचार की कमी से जूझ रही है। ’अभी छोड़ें’ राष्ट्रीय प्रचार अभियान चलाना चाहिए। -रमेश गांधी, सदस्य, संचार समूह, विश्व स्वास्थ्य संगठन
तंबाकू उपभोग के कारण राजस्थान में प्रति वर्ष 78 हजार से अधिक मौत हो रही हैं। विश्व कैंसर दिवस पर वर्ष 2025 की थीम ’अनमास्किंग द अपील : तबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना’ पर चर्चा की जा रही है। -डॉ.पवन सिंहल, ईएनटी रोग विभागाध्यक्ष, एसएमएस अस्पताल
जो लोग इसका सेवन करते हैं उन्हें क्षणिक सुख के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है। 25 वर्ष के युवा भी कम उम्र में ही तंबाकू जनित मुंह-गले के कैंसर के शिकार हो जाते हैं। –डा. शुभकाम आर्य, ईएनटी कन्सल्टेन्ट
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