न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख, डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि एक 40 वर्षीय मरीज को सिरदर्द और मिर्गी के दौरे के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। एमआरआई जांच में मरीज के दिमाग के नाजुक हिस्से में ट्यूमर पाया गया। ऑपरेशन के दौरान मरीज पूरी तरह से होश में रहते हुए डॉक्टरों से बाततचीत करता रहा और उसकी सर्जरी सफलतापूर्वक की गई।
क्या है जागते हुए ‘अवेक क्रैनियोटॉमी तकनीक’
अवेक (जागते हुए) क्रैनियोटॉमी एक विशेष प्रकार की सर्जरी तकनीक है, जिसमें मरीज ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से जागता रहता है। इस पद्धति का उपयोग आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर, मिर्गी (एपिलेप्सी) या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जब सर्जन को दिमाग के नाजुक हिस्सों के पास ऑपरेशन करना होता है।
पूरी तरह होश में रहता है मरीज
इस पद्धति में मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया की बजाय हल्का नशीला पदार्थ दिया जाता है। इसकी वजह से वह दर्द महसूस नहीं कर पाता लेकिन, पूरी तरह से होश में रहता है। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर मरीज से बातचीत करते हैं और उसकी प्रतिक्रिया पर नजर रखते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिमाग के महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान न पहुंचे।
अवेक क्रैनियोटॉमी तकनीक के फायदे
इस तकनीक के फायदे बताते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि इससे दिमाग के नाजुक हिस्सों को नुकसान पहुंचने की संभावना कम हो जाती है। मरीज ऑपरेशन के तुरंत बाद ही पूरी तरह से होश में आ जाता है और अपने परिजनों से बात करता है, इससे रिकवरी प्रक्रिया तेज होती है और अस्पताल में भर्ती का समय भी कम हो जाता है। इस मामले में भी मरीज को पांच दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
एनेस्थीसिया विभाग की बड़ी भागीदारी
इस ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसमें डॉ. मनीष बंजारे, डॉ. पारुल जैन और उनकी टीम ने उत्कृष्ट कार्य किया। न्यूरोसर्जरी टीम के डॉ. जफर शेख, डॉ. यश मदनानी और डॉ. प्रतीक ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि एमवाय अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में सभी प्रकार के जटिल ऑपरेशन अनुभवी सर्जनों द्वारा कुशलतापूर्वक किए जाते हैं, और मरीजों को ऑपरेशन के बाद बेहतरीन देखभाल मिलती है।