किसानों से करार, अंतिम चरण में चर्चा
दो दशक पहले आइडीए ने सुपर कॉरिडोर की नींव रखी थी। योजना बनाते समय 553 हेक्टेयर जमीन शामिल की थी, लेकिन 139 हेक्टेयर पर डायवर्शन व नक्शा पास होने की वजह से छोड़नी पड़ी। 414 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण शुरू किया तो विवाद की स्थिति बनी। समय के साथ किसान सहमति देते गए, फिर भी 50 फीसदी जमीन का निराकरण ही हो सका। इससे विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे। इस पर पायलट प्रोजेक्ट बनाकर काम शुरू किया गया। अब रिपोर्ट आई है कि कॉरिडोर की योजना 151 की 230.54 हेक्टेयर में से 228.25 और योजना 166 की 168.39 में से 166.34 हेक्टेयर का किसानों से करार हो गया है। सभी को रजिस्ट्री कर कब्जा भी दे दिया गया है। दोनों योजनाओं में महज दो-दो हेक्टेयर जमीन बची है, जिसके लिए किसानों से अंतिम चरण की चर्चा चल रही है।
खुला विकास का रास्ता
जमीन के बदले आइडीए ने किसानों को विकसित प्लॉट देने की योजना बनाई। इसमें पसंद के प्लॉट को लेकर विवाद हुआ। किसान चाहते थे कि जमीन पर ही या पास में प्लॉट मिलें। शुरू में आइडीए ने अपनी मर्जी से प्लॉट दिए, जिस पर बात बिगड़ गई। इसे सुधारकर कॉरिडोर पर ही शिविर लगाए गए। समाधान केंद्र व रीजनल ऑफिस खोला, जिससे किसानों को चक्कर काटने से मुक्ति मिली। कोर्ट केसों में मजबूती से पक्ष रखा, जिसमें सफलता मिली। दूसरे चरण का शुरू होगा काम
सुपर कॉरिडोर
इंदौर की बची दो योजनाएं 169 ए और बी को लेकर आइडीए अब मोर्चा संभाल रहा है। ए की 68.74 हेक्टेयर में से 66 फीसदी तो बी की 148.56 हेक्टेयर में से 76 फीसदी जमीन मिल गई है। बची हुई जमीनों को लेकर कॉरिडोर पर शिविर लगाया जाएगा। किसानों को बुलाकर मौके पर समस्या हल की जाएगी।
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गांधी नगर से टीसीएस चौराहे के बीच मेट्रो ट्रेन का संचालन शुरू होने वाला है। योजनाओं में 61 किमी सड़क बननी है, जिसमें से 8 किमी रह गई है। अब 6 किमी सड़क, चौराहों व बगीचे का काम शुरू हो गया है।
जल्द सामने आएंगे परिणाम
सुपर कॉरिडोर की योजना 151 व 166 में 99 फीसदी जमीन मिल गई है। किसानों को प्लॉट की रजिस्ट्री कर कब्जा दे दिया है। योजना 169 ए व बी को लेकर किसानों से बात की जा रही है। जल्द ही अच्छे परिणाम आएंगे।