
Bone marrow transplant : खून से सबंधित हैं बीमारी
डॉक्टरों के अनुसार, सिकलसेल एनीमिया और थैलेसीमिया दोनों ही रक्त संबंधी गंभीर बीमारियां हैं, जिनमें बच्चों को असहनीय दर्द और पीड़ा सहनी पड़ती है। सिकलसेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार की हो जाती हैं, जिससे बच्चों को दर्द, थकान और संक्रमण का खतरा रहता है। वहीं, थैलेसीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और बच्चों को थकान, कमजोरी और हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं।
Bone marrow transplant : बच्चों के चयन की प्रक्रिया
●उनकी सामान्य स्थिति का पता लगाया जाता है●बच्चे के रक्त प्रकार, गुणवत्ता और अन्य रक्त संबंधी समस्याओं का पता लगाया जाता है
●इयूनोलॉजिकल परीक्षण में उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जाता है
●एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) परीक्षण में बच्चे के एचएलए प्रकार का परीक्षण किया जाता है, जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी है
●बच्चे के रक्त का क्रॉस-मैचिंग परीक्षण किया जाता है, जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त दाता का चयन करने में मदद करता है।
●800 बच्चे सिकलसेल एनीमिया का इलाज करा रहे हैं मेडिकल में
●450 बच्चे थैलेसीमिया का इलाज करा रहे हैं

Bone marrow transplant : उमीद की किरण
यह पहल गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों और उनके परिवारों के लिए उमीद की किरण बनकर आई है। अगर समय पर सही डोनर मिल जाए तो सैकड़ों बच्चों को नई जिंदगी मिल सकती है।Bone marrow transplant : ये बच्चे वेटिंग में
●120 सिकलसेल एनीमिया पीड़ित●100 बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित Bone marrow transplant : ब्लड कैंसर व हाई रिस्क एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित बच्चों का चयन बोनमेरो ट्रांसप्लांट के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे भी आ रहे हैं।
- डॉ.श्वेता पाठक, शिशु रोग विशेषज्ञ