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जबलपुर

घोटालेबाज अफसरों को क्लीन चिट, 43 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश

Dhaan Milling Scam: एमपी का धान मिलिंग घोटाला उजागर, आपूर्ति नियंत्रक ने कलेक्टर को संज्ञान में लिए बगैर शासन को भेजा प्रतिवेदन, इससे पहले भी हुआ था 47 करोड़ के अंतर का खुलासा, लेकिन जबलपुर के मिलर्स को दे दी गई क्लीनचिट, राज्य स्तरीय जांच में हुआ 43 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश

जबलपुरJul 12, 2025 / 10:50 am

Sanjana Kumar

Dhaan Milling Scam in MP

Dhaan Milling Scam in MP

dhaan milling scam: 43 करोड़ रुपए का जिला स्तरीय धान मिलिंग घोटाला इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि पहले की जांच में मध्यप्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी और कर्मचारियों के साथ मिलर्स की मिलीभगत सामने आई है। इसके पहले 47 करोड़ के अंतर जिला धान मिलिंग घोटाले का खुलासा हुआ था, तब शासन ने पूरे प्रदेश में जिला स्तरीय धान मिलिंग की जांच के लिए भी पत्र लिखा था। लेकिन, जबलपुर के सभी मिलर्स को क्लीन चिट दे दी गई थी। जिला आपूर्ति नियंत्रक ने कलेक्टर को संज्ञान में लिए वगैर ही अपना प्रतिवेदन शासन को भेज दिया था। बाद में कलेक्टर के प्रतिवेदन पर राजस्व विभाग ने जिला स्तरीय मिलर्स की जांच की, तो 43 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है।

खाद्य आपूर्ति अधिकारी को लेकर लिखा पत्र

धान मिलिंग में गड़बड़ी सामने आने पर पूर्व की सत्यापन रिपोर्ट पर सवाल उठाए गए हैं। जिला प्रशासन ने इस प्रकरण में जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बकाई पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए कार्यवाही के लिए पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि कलेक्टर से आदेश प्राप्त किए बिना ही उन्होंने मप्र राज्य सिविल सप्लाई कारपोरेशन भोपाल को पत्र जारी कर दिया गया। उसमें भी यह लिख दिया गया कि यह पत्र कलेक्टर के आदेश पर जारी किया है, जबकि ऐसा नहीं था।
यह भी कहा गया कि पत्र में राइस मिलर्स को क्लीन चिट दे दी गई। जबकि न तो जांच कराई गई न कोई प्रतिवेदन तैयार किया गया। इधर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने यह बताया था कि राइस मिलर्स ने कुछ अनियमितताएं की थी, यह प्रथम दृष्टया सिद्ध पाया गया था।

राजस्व अधिकारियों को दिया था जांच का जिमा

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस जांच से इतर राजस्व अधिकारियों को इसका जिमा सौंपा था। उस दौरान 46 मिलर्स की जां की गई। इनमें 43 ऐसे थे, जो गड़बड़ी में शामिल मिले। परीक्षण दल की रिपोर्ट में कहा गया है, मप्र राज्य सिविल सप्लाई कारपोरेशन के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों ने संगठित होकर आपराधिक षड्यंत्र किया। शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना की गई।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खरीदे धान को क्षति पहुंचाई

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खरीदे गए धान को क्षति पहुंचाई गई। दिलचस्प यह है कि जिन वाहनों में धान की ढुलाई गोदाम से मिल तक की गई, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर भी फर्जी मिले। इस तरह गड़बड़ी करके अंतर जिला और जिला स्तरीय मिलिंग में शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया। दोनों को मिलाकर घोटाले की राशि 90 करोड़ हो गई है।

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