scriptmahashivratri 2025 : 314 वर्ष से शिवरात्रि पर निभाई जा रही ये परंपरा, रुद्राभिषेक के लिए जाता है नर्मदा जल | mahashivratri 2025 : Jageshwar Mahadev temple Bandakpur follow This tradition last 314 years | Patrika News
जबलपुर

mahashivratri 2025 : 314 वर्ष से शिवरात्रि पर निभाई जा रही ये परंपरा, रुद्राभिषेक के लिए जाता है नर्मदा जल

mahashivratri 2025 : दमोह जिले में बांदकपुर स्थित जागेश्वर महादेव के मंदिर बारे में मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर यहां सवा लाख कांवड़ नर्मदाजल से भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है।

जबलपुरFeb 21, 2025 / 05:45 pm

Lalit kostha

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mahashivratri 2025 : दमोह जिले में बांदकपुर स्थित जागेश्वर महादेव के मंदिर बारे में मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर यहां सवा लाख कांवड़ नर्मदाजल से भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मंदिर में लगे भोलेनाथ और पार्वती के ध्वज विवाह संपन्न होने के प्रतीकस्वरूप झुककर मिल जाते हैं। इसी मान्यता के तहत 314 वर्ष से लगातार जबलपुर से कांवड़ों में भरकर नर्मदाजल बांदकपुर जाता रहा है।

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mahashivratri 2025 : बड़ी संख्या में कांवड़िये यहां से शुरू करते पैदल यात्रा

इस परम्परा को निभाने इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पूर्व बांदकपुर और आसपास के गांवों के कांवड़िए आएंगे। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर ये कावंडिय़े बांदकपुर में भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे। संस्कारधानी के शिवभक्त रामसजीवन मिश्रा बताते हैं कि गौरीघाट में शिवपुत्री नर्मदा का पूजन करने के बाद जल लेकर ये कावंडिय़े अलग-अलग समूहों में यहां से रवाना होते हैं। पैदल यात्रा कर महाशिवरात्रि के दिन सुबह बांदकपुर पहुंचते हैं।
mahashivratri 2025
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mahashivratri 2025 : अलग-अलग नर्मदा तटों से लाते हैं जल

हर वर्ष नर्मदाजल ले जाने वाले रमाकांत विश्वकर्मा बताते हैं कि मान्यतानुसार मंदिर में शिव-पार्वती विवाह तभी सम्पन्न माना जाता है, जब एक लाख कांवड़ नर्मदाजल से शिवजी का अभिषेक किया जाए।

mahashivratri 2025 : पहले बैलगाड़ी में जाता था नर्मदाजल

स्वामी नरसिंहदेवाचार्य ने बताया कि भगवान जागेश्वरनाथ को विराजमान हुए 314 वर्ष हो गए। तभी से यह क्रम चलता आ रहा है कि भगवान का पहला अभिषेक नर्मदा जल से होता है। पहले जब आवागमन के साधन नहीं थे तो यहां से बैलगाड़ी में जल के पात्र रखकर नर्मदा जल बांदकपुर तक जाता था। वर्तमान में पैदल यात्रा के अलावा निजी वाहनों और डेली सर्विस की बसों द्वारा भी नर्मदा जल ले जाया जाता है।
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mahashivratri 2025 : हर दिन चलते हैं 30 किमी

रमाकांत ने बताया कि हर साल दमोह के आसपास के 10-12 गांवों के लोग यहां आते हैं। इनमें किलौद, बम्होरी, माला, सिमरी, चपरवाह, गौड़ आदि ग्रामों के लोग शामिल रहते हैं। कांवड़िए हर दिन 25-30 किमी चलते हैं। बांदकपुर यहां से 125 किमी दूर है। चार-पांच दिन में यात्रा पूरी होती है। यात्रा मेें बच्चे और महिलाएं भी शामिल रहती हैं।

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