NEET PG Counselling 2024: एनआरआइ (प्रवासी भारतीय) कोटे के नाम पर पसंदीदा ब्रांच में नीट पीजी की मनमानी सीटें भरने के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। हाईकोर्ट के जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने मध्यप्रदेश में नीट पीजी काउंसलिंग से जुड़े केस में फैसला सुरक्षित रख कोटे की सीटों को भरने पर रोक लगा दी है।
भोपाल निवासी डॉ. ओजस यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पीजी पाठ्यक्रमों की चुनिंदा ब्रांचों में 15% से अधिक सीटें एनआरआइ कोटे से भरे जाने का मुद्दा उठाया था। बुधवार को सुनवाई में दौरान अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने तर्क दिया कि नियम में यह भी प्रावधान है कि समस्त निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटे से संबंधित 15% सीटें समस्त पाठ्यक्रमों में आरक्षित होंगी। लेकिन डायरेक्टरेट मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) के चार्ट से स्पष्ट होता है कि कोटे की सीटों को सभी 22 ब्रांचों की जगह चुनिंदा 8 ब्रांचों में लागू किया गया है।
इसके चलते कई पाठ्यक्रमों की 30-40% सीटें एनआरआइ कोटे में चली गईं। वहीं आरोप लगाया कि डीएमई ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की खाली सीटों की संख्या का प्रकाशन कर दावे-आपत्तियों के बिना सीधे काउंसलिंग प्रारंभ कर दी।
ये है मामला
हाईकोर्ट में एक चार्ट पेश कर बताया गया कि पीजी की सभी 22 ब्रांच में कुल सीटों का 15त्न एनआरआइ कोटे में ना बांट कर सिर्फ 8 प्रमुख ब्रांचों की कुल 591 सीटों में से 152 सीटों को आरक्षित किया गया। इससे इन 8 ब्रांच में कोटा 15 की जगह 30-40 प्रतिशत तक पहुंच गया।
सीट भरने पर अंतरिम रोक
अतिरिक्त महाधिवक्ता जानवी पंडित ने शासन की ओर से जवाब पेश करते हुए कहा, एनआरआइ कोटे के प्रावधान के अनुसार कार्यवाही हुई है। अरविन्दो कॉलेज की ओर से भी सीट मेट्रिक्स को सही ठहराया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा, केस का फैसला आने में समय लगने की संभावना है, इसलिए फैसला आने तक एनआरआइ कोटे की सीटों को नहीं भरा जाएगा।