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जगदलपुर

दुर्दांत हिड़मा को हथियार थमाने वाले बसव राजू के लिए माड़ में मूवमेंट पड़ी भारी, एक महीने से था फोर्स के रडार में, मिले थे सटीक इनपुट्स

Abujhmad Encounter: बस्तर के मौजूदा हालात को देखते हुए वह एक स्थान पर नहीं टिक रहा था। हर दो दिन में वह लोकेशन बदल रहा था। इसके इनपुट फोर्स को बसव राजू के गनमैन रहे एक सरेंडर नक्सली से मिले।

जगदलपुरMay 22, 2025 / 12:10 pm

Laxmi Vishwakarma

Abujhmad Encounter (Photo-Patrika)

Abujhmad Encounter (Photo-Patrika)

Abujhmad Encounter: बस्तर में नक्सलियों का इतिहास 40 साल पुराना है और नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी सफलता बुधवार को फोर्स को मिल गई। चार जिलों के डीआरजी जवानों ने अबूझमाड़ के जंगल में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के जनरल सेक्रेटरी बसव राजू को ढेर कर दिया। उसके साथ उसके उसके सभी बॉडीगार्ड मारे गए। पीएलजीए की प्लाटून नंबर 7 से 40 नक्सली हर वक्त उसकी सुरक्षा में तैनात रहते थे।

Abujhmad Encounter: दो से तीन घंटे में बसव राजू समेत सभी नक्सली ढेर

इस एनकाउंटर में कुल 27 नक्सली मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि बसव राजू अबूझमाड़ में मूवमेंट कर रहा था। बस्तर के मौजूदा हालात को देखते हुए वह एक स्थान पर नहीं टिक रहा था। (Abujhmad Encounter) हर दो दिन में वह लोकेशन बदल रहा था। इसके इनपुट फोर्स को बसव राजू के गनमैन रहे एक सरेंडर नक्सली से मिले। इस नक्सली के सरेंडर के साथ ही फोर्स ने बसव राजू से जुड़े हर इनपुट पर काम करना शुरू कर दिया था।
बताया जा रहा है कि एक महीने से बसव राजू के करीब पहुंचने की तैयारी चल रही थी। एक सटीक इनपुट ने फोर्स को नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी सफलता दे दी। जवानों को सूचना मिली कि बसव राजू अबूझमाड़ के बोटेर और जाटलूर गांव के करीब अपने बॉडीगार्ड के साथ मौजूद है। वह इन गांवों के बीच में मूवमेंट कर रहा है। बुधवार तडक़े सही वक्त पर फोर्स ने बसव राजू समेत बाकी नक्सलियों को घेर लिया।
Abujhmad Encounter (Photo-Patrika)
कहा जा रहा है कि पहले नक्सलियों ने फायरिंग की। इसके बाद दो से तीन घंटे में बसव राजू समेत सभी नक्सली ढेर कर दिए गए। बसव राजू कितना बड़ा नक्सली था इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिड़मा के हाथ में हथियार थमाने वाला वही था। हिड़मा को हिड़मा बनाने वाला वही था। उसने ही नक्सलियों की सबसे दुर्दांत पीएलजीए बटालियन खड़ी की थी। वह नक्सलियों की सैन्य इकाई का लंबे वक्त तक प्रमुख रहा।
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संगठन नेतृत्वहीन नहीं रह सकता इसलिए गणपति को फिर मिल सकती है कमान

नक्सल संगठन ज्यादा वक्त तक नेतृत्वहीन नहीं रह सकता है। भले ही जारी लड़ाई को अंतिम लड़ाई कहा जा रहा पर नक्सली इस लड़ाई में भी तभी सर्वाइव कर पाएंगे जब उनके पास कोई नेतृत्व होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पूर्व जनरल सेके्रटरी गणपति की वापसी हो सकती है। वह बसव राजू का पद संभाल सकता है। सूत्र बताते हैं कि सेहत की वजह से उसने 2018 में अपना पद बसव राजू को सौंपा था लेकिन अब मौजूदा हालात को देखते हुए उसकी वापसी हो सकती है।
बताया जाता है कि पद छोडऩे के बाद उसने फिलिपीन्स जाकर इलाज करवाया था। अभी उसकी सेहत पहले से बेहतर है और वह भी अबूझमाड़ में ही कहीं पर मौजूद है। (Abujhmad Encounter) संगठन में बसव राजू के बाद किसी को प्रमोट करने जैसी स्थिति नहीं है। बसव राजू के बाद संगठन में सेकेंड लाइन लीडरशीप के बीच टकराव की स्थिति लंबे वक्त से बनी हुई है। किसी भी तरह का असंतोष पैदा ना हो इसलिए गणपति की वापसी की चर्चा है।

1987 में लिट्टे के पूर्व सैनिकों को बस्तर बुलाकर ली थी ट्रेनिंग

Abujhmad Encounter: बसव राजू ने बस्तर में नक्सल संगठन को मिलिट्री आर्मी का रूप दिया था। नक्सलियों ने अब तक उसके बताए मॉडल पर काम करते हुए हजारों हत्याएं की थी। कहा जाता है कि साल 1987 में उसने बस्तर के जंगलों में श्रीलंकाई लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्टे के पूर्व सैनिकों से घातक हमलों और विस्फोटक सामग्री के उपयोग का प्रशिक्षण लिया था। तब से आज तक उसी गुरिल्ला वॉर के तहत नक्सली लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं।

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