Train Ticket: जरूरत है सत कार्रवाई की
रेलवे को चाहिए कि वह टिकट बुकिंग प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाए और ऐसे दलालों पर सत कार्रवाई करे। साथ ही, यात्रियों को भी सतर्क रहना चाहिए और इस तरह की अवैध गतिविधियों की सूचना रेलवे अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि इस सिंडिकेट का जाल खत्म किया जा सके। रेलवे प्रशासन ने बंद की आंखें
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रेलवे प्रशासन इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा है। स्टेशन पर मौजूद रेलवे कर्मचारी और सुरक्षा बल इन दलालों की हरकतों पर मूकदर्शक बने हुए हैं। यात्रियों का कहना है कि अगर रेलवे प्रशासन चाहे तो इन दलालों को पकडक़र उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
यात्रियों की मजबूरी का फायदा
ज्यादातर यात्री जल्दबाजी में होते हैं और तत्काल टिकट की जरूरत के चलते इन दलालों के जाल में फंस जाते हैं। दलाल यात्रियों से 200 से 500 रुपए अधिक वसूलते हैं और उन्हें टिकट दिलाने का झूठा आश्वासन देते हैं। कई बार ये दलाल टिकट काउंटर पर पहले से खड़े रहते हैं और सही समय आने पर अपने ’’कनेक्शन’’ का इस्तेमाल करके टिकट दिलाने का दावा करते हैं।
अंदर तक फैला नेटवर्क?
पत्रिका को एक यात्री ने बताया है कि इन दलालों का रेलवे कर्मचारियों के साथ गठजोड़ हो सकता है, जिससे टिकट काउंटर से उन्हें पहले ही टिकट मिल जाता है। ये दलाल टिकट खिडक़ी पर पहले से खड़े रहते हैं और अपने लोगों को टिकट पहले दिलाने की व्यवस्था करते हैं। यात्रियों के लिए टिकट बचता ही नहीं, और मजबूरी में उन्हें दलालों का सहारा लेना पड़ता है।
कैसे काम करता है यह सिंडिकेट
सुबह से ही दलाल स्टेशन पर मौजूद रहते हैं और टिकट काउंटर के पास खड़े होकर यात्रियों को लुभाने की कोशिश करते हैं। जैसे ही टिकट काउंटर खुलता है, ये दलाल खुद आगे बढक़र यात्रियों से संपर्क करते हैं और तत्काल टिकट दिलाने का प्रलोभन देते हैं। इन दलालों का दावा है कि उनकी रेलवे अधिकारियों से अंदरूनी सेटिंग है, जिसके जरिए वे तत्काल टिकट कंफर्म करा सकते हैं। जैसे ही आप पैसें देते हैं लाइन से इतर जाकर कुछ ही देर में यह कंफर्म टिकट लेकर भी आ जाते हैं।