CG News: गांव पानी, बिजली और सड़क से महरूम
गांवों में पंचायत प्रतिनिधि लगातार गांव वालों के साथ बैठकें कर इसे लेकर माहौल तैयार कर रहे हैं। गांव के जो भी लोग नक्सल संगठन में सक्रिय हैं। उनसे बाचीत करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वे सरेंडर करें और गांव को
नक्सल मुक्त होने का दर्जा मिले। साथ ही सरकार ने गांवों के विकास के लिए 1 करोड़ रुपए की जो घोषणा की है उसे लेकर भी ग्रामीण उत्साहित हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी दिया गया जिम्मा
गांवों को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में जो काम चल रहा है उसमें सरकार के साथ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी जिम्मेदारी दी गई हैं। सामाजिक संस्थाएं अपनी टीम के साथ गांव-गांव में जाकर ग्रामीणों को
नक्सलवाद के नुकसान और विकास से होने वाले फायदे के बारे में बता रहे हैं। ताकि ग्रामीण अपने आसपास के नक्सलियों को सरेंडर के लिए प्रेरित करें। बस्तर संभाग के एक गांव में बैठक करते आदिवासी युवा।
ग्रामीणों में विकास के लिए दिख रहा उत्साह
देश को आजाद हुए साढ़े सात दशक से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन पिछले चार दशक से बस्तर लाल आतंक की गिरफ्त में रहा। बस्तर के नक्सल प्रभावित गांवों में आज भी पीने के साफ पानी,
बिजली और सड़क जैसी मुलभूत सुविधा नहीं हैं। गांवों में स्कूल और अस्पताल का भी अभाव है। अब सरकार कह रही है कि नक्सल मुक्त होने पर इन गांवों को यह यह सारी सुविधाएं दी जाएंगी।
ऐसा पहली बार हो रहा है जब बस्तर के गांवों में विकास के लिए ऐसी होड़ और उत्साह दिख रहा है। ग्रामीणों के बीच एक स्पर्धा की शुरुआत हुई है। वे अब अपने गांव के विकास के लिए सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार नक्सल मुक्त होने पर गांव को घोषणा के अनुरूप एक करोड़ देगी और इससे गांव की तस्वीर बदलेगी।
बस्तर शांति समिति हो रही तैयार, वार्ता की बन सकती है कड़ी
बीते कुछ वक्त में
नक्सलियों की तरफ से तीन बार शांतिवार्ता की पेशकश की गई। इसे देखते हुए अब बस्तर शांति समिति के गठन की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है। कहा जा रहा है कि यह समिति सरकार और नक्सलियों के बीच शांति वार्ता शुरू करने की मजबूत कड़ी बन सकती है। यह पहल न केवल बस्तर में स्थायी शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप दिशा दे सकती है।
समिति की संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी ने बताया कि शांतिवार्ता की बात सरकार और नक्सली दोनो ही लंबे समय से कर रहे हैं लेकिन अब तक बस्तरवासियों के मन की बात किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की है। जबकि उनका एक विशेष स्थान है। इसलिए वे बेहतर माहौल बनाने के साथ निर्णायक रूप तक शांतिवार्ता पहुंचे इसके लिए प्रयास किया जाएगा।
हिड़मा के इलाके में भी हो रहीं बैठकें
बीजापुर जिले के नेशनल पार्क इलाके में तर्रेम से पामेड़ के बीच का इलाका नक्सलियों की सबसे खूंखार बटालियन नंबर 1 का इलाका हुआ करता था। इस इलाके में दुर्दांत नक्सली हिड़मा और देवा बारसे कभी पूरी बटालियन को ऑपरेट करते थे। तर्रेम से पामेड़ के बीच के गांव पीडिया, कोंडापल्ली, जिड़पल्ली 1, जिड़पल्ली 2, वाटेवागू को नक्सल मुक्त बनाने के लिए बैठकें हो रही हैं। अबूझमाड़ के कुतुल, बेड़माकोटी, कोडलियार, पदमकोट जैसे गांव में भी नक्सल मुक्त बनने की रेस में शामिल हो चुके हैं।