इंजीनियर लॉबी का दबाव
श्रीश्याम और गणपति टयूबवेल कंपनी ने पांच जिलों में इरकॉन कंपनी का फर्जी प्रमाण-पत्र लगा कर 900 करोड़ के टेंडर लिए। जानकारों का कहना है कि सीनियर इंजीनियरों के दबाव के चलते कमेटियों में शामिल विजिलेंस और गुणवत्ता विंग के इंजीनियर जांच कमेटियों से ही निकलना चाहते हैं।जांच से कन्नी काट रहे इंजीनियर
भुगतान में भ्रष्टाचार की जांच के लिए 31 जनवरी 2025 को विजिलेंस और गुणवत्ता नियंत्रण विंग में तैनात इंजीनियरों की तीन कमेटियां बनाई गई। कमेटियों को 15 जनवरी तक रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव को देनी थी। अधीक्षण अभियंता केके अग्रवाल, अधिशासी अभियंता प्रदीप गुप्ता और अधीक्षण अभियंता विश्वजीत नागर की अध्यक्षता में बनी तीनों कमेटियों ने एक माह बाद भी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। वहीं कमेटी में शामिल इंजीनियरों अब इसकी जांच से पीछा छुड़ाना चाह रहे हैं।‘मैं अभी विधानसभा नहीं जाऊंगा’, PCC की बैठक से पहले बोले डोटासरा; जूली ने कहा- जो साइलेंट बैठे हैं, उनकी छुट्टी होगी
ऐसे हुआ फर्जी भुगतान
जेईएन और एईएन ने बिना काम और मौके पर पाइप नहीं होने पर भी माप पुस्तिका में गलत एंट्री कर दोनों फर्मों को भुगतान करवा दिया। फर्मों को 55 करोड़ के फर्जी भुगतान के मामले में 150 इंजीनियरों को नोटिस जारीकर जबाव मांगा गया था। इंजीनियरों के जबाव का तीन कमेटियां जांच कर रही हैं कि फील्ड इंजीनियरों ने गलत भुगतान किया या नहीं। इन कमेटियों की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई संभावित हैं।