सचिव ने कहा कि सभी जिलों में कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएं। जरूरी उपकरणों, ऑक्सीजन प्लांट, जांच मशीनों आदि की जांच किया जाएं और मेंटीनेंस करवाया जाएं। प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में जांच-उपचार के साथ दवाओं की उपलब्धता पर जोर दिया। किसी भी जिले में दवाओं की आपूर्ति में कोई कमी नहीं रहे।
सभी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ एवं पैरामेडिकल स्टाफ पूरा रहे। यदि किसी चिकित्सा संस्थान में चिकित्सक की कमी है तो संविदा आधार पर या सेवा निवृत्त कार्मिकों की सेवाएं नियमानुसार ली जाएं। साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ की आवश्यकता होने पर जिला कलक्टर से अनुमोदन प्राप्त कर स्थानीय स्तर पर नियमानुसार व्यवस्था करें। यदि कोई उपकरण खराब हो तो तत्काल ई-उपकरण के माध्यम से शिकायत दर्ज करवाते हुए समाधान कराएं।
प्रमुख शासन सचिव ने सभी चिकित्सा संस्थानों में ओआरएस कॉर्नर स्थापित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में वाटर कूलर, पंखें, कूलर, एसी आदि खरीद लिए जाएं तथा खराब संसाधनों की मेंटीनेंस करवाई जाए। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने कहा कि फॉगिंग, एंटी लार्वा, सोर्स रिडक्शन एवं अन्य रोकथाम गतिविधियां की जाएं। बैठक में टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम तथा सिलिकोसिस कार्यक्रम की भी समीक्षा की गई। इस अवसर पर निदेशक आईईसी टी.शुभमंगला, निदेशक आरसीएच डॉ. सुनीत सिंह राणावत व अन्य उपस्थित रहे।