उन्होंने कहा कि एक ही परिसर में दो-दो स्कूल चल रहे थे या आसपास के क्षेत्र में ही दो स्कूल संचालित थे, ऐसे स्कूलों को समायोजित कर एक किया है। इससे स्कूल के संसाधनों का सदुपयोग, शिक्षक बेहतर तरीके से काम करें और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा सुविधा उपलब्ध हो सके।
इनमें कुछ स्कूल ऐसे भी थे, जिनमें नामांकन शून्य या बहुत कम था। इन कम नामांकन वाले स्कूलों में पद स्थापित शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में समायोजित किया गया। एक भी स्कूल बंद नहीं किया गया है।
डोटासरा और जूली ने उठाए थे सवाल
प्रदेश में स्कूलों को मर्ज करने के सरकारी फैसले की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने निंदा की थी। डोटासरा ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि भाजपा सरकार शिक्षा प्रणाली में सुधार एवं विस्तार करने की जगह स्कूल बंद करने का काम करती है।
वहीं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इससे गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को सबसे नुकसान होगा। स्कूलों को बंद करना निंदनीय है। सरकार को चाहिए कि वह स्कूलों को बंद करने की जगह इनमें सुधार और विस्तार पर ध्यान दें।