BRTS Corridor Jaipur : नगरीय विकास विभाग ने जयपुर के बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने की स्वीकृति दे दी है। इसके लिए विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसकी अनुमति मिल गई। अब जेडीए कॉरिडोर हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगा।
बजट में इसकी घोषणा की गई थी। इस प्रोजेक्ट का निर्माण केन्द्र सरकार फंडिंग से हुआ है, जिसमें लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा वहन किया गया। सूत्रों के मुताबिक विभाग ने भले ही अपने स्तर पर स्वीकृति दे दी हो, लेकिन फिलहाल केन्द्र सरकार से आधिकारिक रूप से अनुमति नहीं ली गई। ऐसे में आशंका है कि केन्द्र सरकार रिकवरी निकाल सकती है।
पूर्ववर्ती सरकार में क्यों जताई गई केन्द्र की अनुमति की जरूरत?
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में अफसर इसे हटाने से पहले शहरी विकास मंत्रालय से अनुमति लेने की जरूरत जताते रहे। इसमें केन्द्र सरकार सीधे राज्य सरकार से पूछती कि कॉरिडोर के बेहतर संचालन के लिए राज्य सरकार ने क्या किया? राज्य सरकार के दावे और तर्क से संतुष्ट नहीं होने पर मंत्रालय रिकवरी निकालने की आशंका होती। तत्कालीन यूडीएच मंत्री ने भी विधानसभा में केन्द्र सरकार के स्तर तक प्रस्ताव भेजने की बात की थी।
कॉरिडोर में केवल बीआरटीएस बसों का संचालन होना था, जिसके लिए यहां जेएनएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन) के तहत 100 बसें दी गईं। इन बसों का संचालन पूरी तरह कॉरिडोर में किया जाना था, लेकिन सरकार ने शहर के अन्य रूट पर भी इनका संचालन शुरू कर दिया। इससे कॉरिडोर में नियमित अवधि में बस संचालन नहीं हो सका। नतीजा, कॉरिडोर की मूल भावना खत्म सी हो गई। टुकड़ों में निर्माण होने से भी कॉरिडोर उपयोगी नहीं बन पाया।
1- 7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर। (निर्माण लागत 75 करोड़ रुपए, संचालन शुरू वर्ष 2010)। 2- 9 किलोमीटर लम्बाई में अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड (बी-2 बाइपास तिराहा) तक। (निर्माण लागत 95 करोड़ रुपए, संचालन शुरू वर्ष 2015)।
3- अजमेर पुलिया से अजमेर रोड पर चुंगी के आगे तक निर्मित एलिवेटेड रोड में भी बीआरटीएस कॉरिडोर के लिए स्वीकृति राशि का उपयोग किया गया।