Rajasthan: बिजली भी हो गई खास और आम…लोड मैनेजमेंट वीआइपी इलाकों में, बाकी शहर में बिजली ‘कभी-कभार सेवा’
मंत्रियों और अफसरों के बंगलों में तीन-तीन फीडरों से बिजली आती है। एक बंद हो तो दूसरा झट से चालू हो जाता है। लेकिन शहर के बाकी लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं जिनकी बिजली कब आएगी, कब जाएगी, इसका कोई शेड्यूल नहीं।
Power Supply in Jaipur city: जयपुर शहर में बिजली सप्लाई के दावों की हकीकत तभी समझ आती है जब सिविल लाइंस, गांधी नगर और सी-स्कीम की गलियों में झांका जाए। यहां रहने वाले मंत्रियों और अफसरों के बंगलों में तीन-तीन फीडरों से बिजली आती है। एक बंद हो तो दूसरा झट से चालू हो जाता है। लेकिन शहर के बाकी लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं जिनकी बिजली कब आएगी, कब जाएगी, इसका कोई शेड्यूल नहीं। वीआइपी इलाकों की विशेष सुरक्षा के बीच बाकी शहर के लिए बिजली ‘कभी-कभार सेवा’ बन गई है।
सिविल लाइंस और गांधी नगर में मंत्री, सचिव और बड़े अफसर रहते हैं। इन इलाकों में बिजली की कभी कमी नहीं होती क्योंकि एक साथ तीन फीडरों से कनेक्शन है। जैसे ही एक फीडर ट्रिप करता है, दूसरा तुरंत सप्लाई संभाल लेता है। सी-स्कीम में दो फीडरों से आपूर्ति हो रही है।
सिविल लाइंस: चंबल, लालकोठी और ईएसआइ पावर हाउस से गांधी नगर: जनता स्टोर, पुलिस हेड क्वार्टर और गौतम नगर फीडर से सी-स्कीम: रेजिडेंसी और लालकोठी पावर हाउस से
बाकी शहर को रोजाना बिजली गुल की सजा
वीआइपी इलाकों की इस ‘बिजली सुरक्षा’ के उलट, शहर के अन्य हिस्सों में हालात नाजुक हैं। सांगानेर, प्रतापनगर, भांकरोटा, बिंदायका, झोटवाड़ा, मुरलीपुरा और आगरा रोड जैसे इलाके रोजाना एक से दो घंटे की बिजली कटौती झेलते हैं। आमेर और दिल्ली रोड जैसे बाहरी इलाकों में यदि रात को बिजली चली जाए तो सुबह तक इंतजार करना मजबूरी बन जाती है।
लोड मैनेजमेंट फेल, रोजाना 5 हजार से अधिक शिकायतें
जयपुर डिस्कॉम के अधिकारियों ने दावा किया था कि शहर में 8 से 160 एमवीए तक के पावर ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं और पीक आवर्स के लिए लोड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार है लेकिन मई-जून की भीषण गर्मी के दौरान यह सिस्टम पूरी तरह फेल रहा। रोजाना औसतन 5,000 से अधिक बिजली गुल की शिकायतें दर्ज हुईं।
5 हजार का ध्यान, लाखों को परेशानी
जहां तीन फीडरों से मात्र 5 हजार वीआइपी उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति मिल रही है, वहीं बाकी शहर के लाखों उपभोक्ता लोड शेडिंग और ट्रिपिंग से जूझते हैं। इन क्षेत्रों में बिजली जाने पर डिस्कॉम इंजीनियर अक्सर ‘लोड बढ़ गया’ कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।