शादी की अगली रात ही दूल्हे ने दिखा दिया असली रंग, नहीं सह सकी दुल्हन, चली गई जान
बेनीवाल ने खुद के संघर्षों का ज़िक्र करते हुए बताया कि उन्होंने संसद से लेकर सड़क तक, हर मंच पर युवाओं की आवाज़ बुलंद की है। “चाहे मुझे सदन से निकाला गया हो, या धमकियां दी गई हों, मैंने कभी पीछे हटना नहीं सीखा,” उन्होंने कहा।उन्होंने युवाओं से भावनात्मक अपील करते हुए कहा, “मैं आपसे मांगने आया हूं—अपने लिए नहीं, बल्कि उस भविष्य के लिए जिसे बार-बार कुचला गया है।” साथ ही यह भी जोड़ा कि आंदोलन में किसी पार्टी या झंडे का भेद नहीं होना चाहिए—यह सिर्फ हक की लड़ाई है।