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जैन भगवती दीक्षा महोत्सव, अध्यात्म की राह पर अग्रसर होंगे दो युवा और दंपती

Jain Bhagwati Diksha Mahotsav In Jaipur: राजस्थान विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन सेंटर में तीन दिवसीय जैन भगवती दीक्षा महोत्सव की शुरुआत।

जयपुरFeb 06, 2025 / 07:48 am

Alfiya Khan

jain
हर्षित जैन
जयपुर। जिस उम्र में अधिकांश युवा अपने भविष्य के सपनों का ताना-बाना बुनने में लगे रहते हैं, ऐसे में वीरल हिंगड़ (18) और मंथन छाजेड़ (14) अब मोक्ष की राह पर चलकर जैन धर्म दर्शन की प्रभावना को बढ़ाएंगे। पढ़ाई में अव्वल रहे दोनों युवाओं के मन में वैराग्य के भाव बचपन से जागृत होने लगे थे। इनके अलावा, कर्नाटक के कुकनूर से दम्पती सुमति (47) और प्रीति पोखरना (43) भी दीक्षा लेंगे। खास बात यह है कि तीन साल पहले इनके बेटे भी दीक्षा ले चुके हैं।
बुधवार से राजस्थान विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन सेंटर में तीन दिवसीय जैन भगवती दीक्षा महोत्सव की शुरुआत पर चारों मुमुक्षुओं से पत्रिका ने खास बातचीत की। आचार्य विजयराज के सान्निध्य में चार दीक्षाएं शुक्रवार को संपन्न होंगी। इस मौके पर देशभर से बड़ी संख्या में श्रावकजन अपने नयनों से दीक्षार्थियों की तप का अनुमोदन करेंगे। शहर में पहली बार यह मौका होगा, जब चार दीक्षाएं एक साथ होंगी।
साधुमार्गी शांत क्रांति मंच के संरक्षक प्रदीप गुगलिया और कार्यक्रम संयोजक कमल संचेती ने बताया कि बुधवार को संघम चौबीसी की ओर से गुरु भक्ति की उमंग कार्यक्रम हुआ। कलाकार विक्की डी पारेख ने भजनों की प्रस्तुतियां दीं। गुरुवार को दीक्षार्थियों का लवाजमे के साथ वरघोड़ा जुलूस रवींद्र मंच से शुरू होकर विभिन्न जगहों से होते हुए अल्बर्ट हॉल पहुंचेगा। इसके बाद कन्वोकेशन सेंटर में प्रवचन व चादर रस्म सहित अन्य कार्यक्रम होंगे। शुक्रवार सुबह 7:30 बजे महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकलेगी।

‘भौतिकता की चकाचौंध को छोड़, सेवा करें’

सातवीं कक्षा में अध्ययनरत मैसूर निवासी वीरल हिंगड़ ने बताया कि छह साल की उम्र से धर्म दर्शन में रुचि रही। गणाधिपति शांतिमुनि के जीवन को देखकर उनका हृदय पूरी तरह से परिवर्तित हो गया। मन में इच्छा थी कि वे भी दीक्षा लें। इसके बाद तीर्थों की यात्रा और जैन धर्म ग्रंथों का वाचन किया। परिवार में दो बुआ ने दीक्षा ली।
उन्होंने कहा कि धर्म ही उत्कृष्ट मंगल है, जो अहिंसा, संयम और तप का पालन करता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। युवा पीढ़ी अपने धर्म और संस्कृति को समझे। भौतिकता की चकाचौंध से दूर रहकर अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करें। अब मेरे जीवन का उद्देश्य सांसारिक मोह त्यागकर मोक्षगामी मार्ग पर चलना है।

बेटे ने तीन साल पहले ली दीक्षा…

कर्नाटक के कुकनूर निवासी सुमति ने बताया कि दीक्षा से स्वयं का आत्मकल्याण होगा। संयम की भावना के साथ ही गुरु के उपदेश जीवन में काफी महत्व रखते हैं। अध्यात्म ही जीवन में सबकुछ है। एक सच्चे गुरु की जीवन में अत्यंत आवश्यकता है। तीन साल पहले बेटे ने दीक्षा ली, इसके बाद पत्नी ने चर्चा कर दीक्षा लेने का मन बनाया। कई तप पूरे किए, साथ ही कई किलोमीटर की पदयात्राएं भी कीं। सुमति ने बताया कि उनका माइनिंग का बिजनेस था।
उन्होंने अपनी संपत्ति शिक्षा के लिए दो संस्थानों को दान कर दी। सुमति की पत्नी प्रीति ने कहा कि भौतिक सुविधाओं के साथ धर्म का जुड़ाव होना चाहिए। आत्म कल्याण और मोक्ष जाने के लिए दीक्षा लेंगे। अपनी इच्छा से अध्यात्म का रास्ता चुना है। जीवन में इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता है।

‘जैनिज्म को पढ़ना दीक्षा से संभव’

छत्तीसगढ़ के राजनांद गांव निवासी मंथन छाजेड़ ने बताया कि वे 11वीं कक्षा के छात्र हैं। वर्ष 2023 से गुरु देव विहार से दीक्षा लेने का मन बनाया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में यह बताया जाता है कि भगवान कैसे बनाए जाते हैं। युवा पीढ़ी फैशन के पीछे भाग रही है, जो गलत है। आत्मशुद्धि के लिए सबसे अच्छा जरिया अध्यात्म है। अपनी आत्मा के कल्याण के लिए कुछ समय निकालें। अब तक 1500 किलोमीटर की पैदल यात्रा की है। आगे जैन धर्म दर्शन की प्रभावना को और संदेशों को लोगों तक पहुंचाएंगे और युवाओं को जागरूक करेंगे। पढऩा संसार का नियम है, लेकिन जैनिज्म को पढ़ना दीक्षा से ही संभव है।

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